कपास के एमएसपी में बेतहाशा वृद्धि से कॉटन उद्योग चिंतित

21-Jul-2025 08:33 PM

अहमदाबाद। केन्द्र सरकार द्वारा 2025-26 के मार्केटिंग सीजन हेतु कपास की विभिन्न श्रेणियों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 589 रुपए प्रति क्विंटल की जोरदार बढ़ोत्तरी की गई है।

इसके तहत मीडियम रेशेवाली श्रेणी का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 7121 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 7710 रुपए प्रति क्विंटल तथा लम्बे रेशे वाली किस्मों का एमएसपी 7521 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 8110 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। 

पिछले तीन-चार वर्षों से कपास के एमएसपी में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हुई है जिससे घरेलू टेक्सटाइल उद्योग की प्रतिस्पर्धी क्षमता पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। एमएसपी में वृद्धि का उद्देश्य घरेलू किसानों को सहयोग-समर्थन प्रदान करना तथा उत्पादन में बढ़ोत्तरी सुनिश्चित करना है जो सैद्धांतिक रूप से अच्छी बात है लेकिन उद्योग समीक्षकों का कहना है कि सरकार को इसके व्यवहारिक पक्ष पर भी ध्यान रखना चाहिए।

अगर टेक्सटाइल उद्योग ऊंचे दाम पर रूई की खरीद करेगा तो उसके उत्पादों का लागत खर्च काफी बढ़ जाएगा और इससे वस्त्र उत्पादों तथा कॉटन यार्न एवं फैब्रिक्स का घरेलू कारोबार तथा निर्यात व्यापार प्रभावित होगा। वैश्विक बाजार में पहले से ही अनेक चुनौतियां मौजूद है। 

उद्योग समीक्षकों ने सरकार को सिर्फ एमएसपी में वृद्धि पर जोर देने के बजाए कपास की उत्पादकता बढ़ाने पर विशेष ध्यान देने का सुझाव दिया है इससे किसानों की आमदनी बढ़ाने में अच्छी सहायता मिलेगी और उद्योग को भी राहत मिलेगी।

संसार में कपास के कुल क्षेत्रफल में भारत की भागीदारी 37 प्रतिशत रहती है मगर इसके वैश्विक उत्पादन में भारत का योगदान महज 23 प्रतिशत रहता है। ब्राजील, चीन एवं अमरीका की बात तो बहुत दूर है, भारत में कपास की औसत उपज दर पाकिस्तान एवं बांग्ला देश से भी काफी नीचे रहती है।

इसमें अपेक्षित बढ़ोत्तरी करने की सख्त आवश्यकता है। यदि औसत उपज दर बढ़ जाए तो भारत दुनिया में कपास का सबसे प्रमुख उत्पादक एवं निर्यातक देश बन सकता है। उद्योग समीक्षकों के अनुसार सरकार को रूई पर लागू आयात शुल्क को यथाशीघ्र समाप्त कर देना चाहिए।