बांग्ला देश में चावल के भारी आयात की योजना से भारतीय निर्यातक उत्साहित

21-Jul-2025 11:14 AM

नई दिल्ली। बांग्ला देश सरकार ने घरेलू खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विदेशों से 9 लाख टन चावल मंगाने का प्लान बनाया है जिससे भारतीय राइस मिलर्स एवं निर्यातक खुश एवं उत्साहित है। परम्परागत रूप से बांग्ला देश में चावल का अधिकांश आयात भारत से ही किया जाता है। 

उद्योग समीक्षकों के अनुसार बांग्ला देश की इस योजना से भारतीय चावल की मांग एवं कीमत में सुधार आने के आसार हैं। भारत दुनिया में चावल का सबसे प्रमुख निर्यातक देश बना हुआ है और इसके सम्पूर्ण वैश्विक कारोबार में 46 प्रतिशत का योगदान अकेले देता है।

बांग्ला देश भारत का निकटतम पड़ोसी देश है और वहां भारतीय चावल को काफी पसंद भी किया जाता है। अत्यन्त निकट होने के साथ-साथ भारत के चावल का निर्यात ऑफर मूल्य भी प्रतिस्पर्धी स्तर पर रहता है और यहां निर्यात योग्य चावल का हाजिर स्टॉक भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।

एक अग्रणी निर्यातक के अनुसार बांग्ला देश में जो 9 लाख टन चावल के आयात का प्लान बनाया गया है उसमें से 4 लाख टन की खरीद सीधे सरकार द्वारा अंतर्राष्ट्रीय टेंडर के माध्यम से की जाएगी जबकि शेष 5 लाख टन का आयात प्राइवेट व्यापारियों द्वारा पड़ोसी देश (भारत) से किए जाने की संभावना है।

इस बार बांग्ला देश में चावल के आयात का निर्णय सामान्य समय से पहले ही लिया गया क्योंकि वहां मूसलाधार वर्षा एवं भयंकर बाढ़ से अमान धान की फसल को काफी नुकसान होने की आशंका है। इस धान की अभी वहां रोपाई हो रही है। 

एक राइस मिलर्स का कहना है कि भारत का चावल उद्योग और खासकर पश्चिम बंगाल के मिलर्स बांग्ला देश के चावल आयात की योजना का भरपूर फायदा उठाने के लिए काफी बेहतर पोजीशन में है। बंगाल और बांग्ला देश की सीमा आपस में मिलती है।

भारत से बांग्ला देश को चावल के निर्यात में कोई बाधा पड़ने की आशंका नहीं है। यद्यपि भारत ने पेट्रापोल बॉर्डर के माध्यम से कपड़ा तथा जूट के आयात पर रोक लगा दी है मगर चावल का परिवहन इससे प्रभावित नहीं होगा। इससे बांग्ला देश के आयातकों को भी फायदा होगा। 

समीक्षकों के मुताबिक बांग्ला देश के प्राइवेट आयातकों द्वारा 5 लाख टन की कुल मात्रा में से कम से कम 30-40 प्रतिशत चावल का आयात पश्चिम बंगाल के मिलर्स एवं व्यापारियों द्वारा किया जा सकता है।

बंगाल के मिलर्स एवं ट्रेडर्स बांग्ला देश के सरकारी चावल आयात टेंडर में भी भाग ले सकते हैं। बंगाल के अलावा झारखंड, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा एवं बिहार जैसे राज्यों को भी फायदा होगा।