कम बिजाई से उत्पादन घटने की संभावना से लालमिर्च का भाव मजबूत रहने के आसार

18-Oct-2025 01:14 PM

मुम्बई। पिछले साल की तुलना में चालू वर्ष के दौरान लालमिर्च के घरेलू उत्पादन क्षेत्र में 30/40 प्रतिशत की भारी गिरावट आई है और प्राकृतिक आपदाओं से फसल को कहीं-कहीं नुकसान भी  है।

इसके फलस्वरूप उत्पादन में गिरावट आने तथा बाजार भाव मजबूत रहने की संभावना है। वैसे लालमिर्च का भारी-भरकम पिछला बकाया स्टॉक मौजूद है और इसकी निर्यात मांग भी उत्साहवर्धक नहीं है इसलिए कीमतों में जोरदार तेजी आना मुश्किल लगता है। 

आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र में लालमिर्च की बिजाई इस बार कम क्षेत्रफल में हुई है। बिजाई में कुछ देर भी हुई है जिससे नई फसल की आवक लेट से हो सकती है। लालमिर्च के क्षेत्रफल में आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना में 40-40 प्रतिशत तथा कर्नाटक में 50 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान लगाया गया है।

बिजाई की प्रक्रिया पहले ही पूरी हो चुकी है। कुछ इलाकों में अत्यधिक वर्षा होने से पहली बिजाई की फसल बर्बाद हो गई जिससे किसानों को वहां दोबारा बिजाई करने के लिए विवश होना पड़ा। 

सामान्य श्रेणी के साथ-साथ अच्छी रंगत एवं बेहतर क्वालिटी वाली ब्यादगी, डब्बी तथा 5531 नम्बर की लालमिर्च के रकबे में भी गिरावट आई है। कर्नाटक में ब्यादगी का क्षेत्रफल करीब 50 प्रतिशत घट गया है। मध्य प्रदेश में बिजाई 30 प्रतिशत कम होने की सूचना है।

अत्यधिक वर्षा एवं खेतों में जल जमाव से ब्यादगी लालमिर्च की फसल आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त भी हुई है। लेकिन बल्लारी क्षेत्र में फसल की हालत काफी अच्छी बताई जा रही है। 

लालमिर्च का भाव हाल के दिनों में कुछ मजबूत होकर अब एक निश्चित सीमा में स्थिर हो गया है। जुलाई -अगस्त की तुलना में यह करीब 15 प्रतिशत बढ़ा है और इसका औसत मूल्य 13000/13,500 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा है।

अच्छी क्वालिटी का भाव इससे ऊंचा तथा हल्की क्वालिटी का दाम इससे नीचे है। मोटे अनुमान के अनुसार कोल्ड स्टोरेज में लगभग 1.50 करोड़ बोरी लालमिर्च का स्टॉक मौजूद है जो गत वर्ष के बराबर ही है। मौजूदा फसल करीब एक माह की देरी से यानी 20 जनवरी 2026 के आसपास आनी शुरू हो सकती है। उत्पादन में गिरावट आने की आशंका है इसलिए आगामी समय में इसका दाम कुछ मजबूत रह सकता है।