कीमतों में स्थिरता लाने के उद्देश्य से 2011 के खाद्य तेल रेग्युलेशन में संशोधन
08-Aug-2025 03:39 PM

नई दिल्ली। घरेलू प्रभाग में आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत बनाने, कीमतों में स्थिरता लाने और कारोबार में पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से केन्द्र सरकार ने वर्ष 2011 में निर्मित एवं लागू, खाद्य तेल रेग्क्युलेशन में आवश्यक संधोशन करते हुए उसे एक नया स्वरुप प्रदान किया है।
केन्द्रीय खाद्य, उपभोक्ता मामले एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने वैजिटेबल ऑयल प्रॉडक्ट्स, प्रोडक्शन एवं अवेलेबिलिटी (रेग्युलेशन) आर्डर, 2011 को संशोधित कर दिया है ताकि समूचे देश में खाद्य तेल की समुचित आपूर्ति की जा सके और कारोबार में पारदर्शिता बढ़ सके।
इस संशोधित रेग्युलेशन का उद्देश्य आंकड़ों का बेहतर ढंग से संग्रहण करना और उसके आधार पर खाद्य तेल उद्योग-व्यापार क्षेत्र में तेजी से नीतिगत निर्णय लेना है जो खाद्य सुरक्षा एवं मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए अत्यन्त आवश्यक है।
इस नए नियम के बाद सरकार को सही समय पर खाद्य तेलों के उत्पादन, आयात एवं स्टॉक का आंकड़ा प्राप्त करना आसान हो जाएगा क्योंकि कंपनियों को इसका मासिक आंकड़ा सरकार के पास जमा करना होगा।
इसके आधार पर सरकार को यह पता लगाने में आसानी होगी कि किन कारणों से खाद्य तेल की कीमतों में तेजी आ रही है। कारण की जानकारी मिलने के बाद सही तरीके से उसके निवारण का प्रयास किया जा सकता है।
इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत दुनिया में खाद्य तेल का सबसे बड़ा आयातक देश है और इसलिए वैश्विक बाजार भाव में आने वाले उतार-चढ़ाव का सीधा असर घरेलू बाजार मूल्य पर पड़ता है।
स्वदेशी स्रोतों से खाद्य तेलों की उपलब्धता घरेलू मांग एवं जरूरत से बहुत कम रहती है। वैश्विक खाद्य तेल बाजार में तेजी आने पर सरकार आयात शुल्क में आवश्यक कटौती कर देती है ताकि घरेलू बाजार पर उसका न्यूनतम असर पड़ सके।
आयात शुल्क में कटौती के बाद उद्योग को खाद्य तेल का दाम उसके अनुरूप घटाने के लिए कहा जाता है ताकि आम उपभोक्ताओं को उसका लाभ प्राप्त हो सके।
खाद्य तेल उद्योग अनेक कठिनाइयों एवं चुनौतियों का सामना कर रहा है और इसके लिए उसे सरकार से नीतिगत सहयोग-समर्थन की आवश्यकता है।