खांडसारी उद्योग को औपचारिक रेग्युलेशन के तहत खाने की गति धीमी

17-Oct-2025 05:55 PM

नई दिल्ली। केन्द्र सरकार भारत के परम्परागत खांडसारी (गैर रिफाइंड चीनी) उद्योग को औपचारिक विनियमन (रेग्युलेशन) के अंतर्गत लाने का प्रयास कर रही है मगर इसकी शुरूआती गति काफी धीमी देखी जा रही है।

वरिष्ठ आधिकारिक सूत्रों के अनुसार देश में खांडसारी उत्पादन की 66 बड़ी-बड़ी इकाइयां क्रियाशील हैं मगर उसमें से केवल 11 प्लांटों ने ही अभी तक नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम (एनएसडब्ल्यूएस) पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन करवाया है।

जानकारों के अनुसार अगले महीने से अब गन्ना क्रशिंग का सीजन पूरी तरह आरंभ हो जाएगा तब रजिस्ट्रेशन की गति बढ़ सकती है। 

चीनी मिलों को पहले ही इस सिस्टम के तहत पंजीकृत किया जा चुका है और अब खांडसारी उद्योग को पोर्टल पर पंजीकरण  करवाने के लिए कहा गया है ताकि उसे भी आवश्यकता पड़ने पर रेग्युलेट किया जा सके।

उल्लेखनीय है कि गुड़-खांडसारी इकाइयों में गन्ना का उपयोग चीनी मिलों से पहले ही आरंभ हो जाता है और कई महीनों तक जारी रहता है। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र एवं आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में गुड़-खांडसारी का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है।

सरकार को उम्मीद है कि अगले महीने (नवम्बर) के अंत तक लगभग सभी खांडसारी इकाइयों का एनएसडब्ल्यूएस पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन का कार्य पूरा हो जाएगा। 

भारत गुड़-खांडसारी का एक अग्रणी उत्पादक देश है। यहां इसकी घरेलू खपत भी बड़े पैमाने पर होती है। प्रत्यक्ष मानवीय खपत के साथ-साथ औद्योगिक उद्देश्यों में भी इसका इस्तेमाल होता है। यह चीनी का एक अच्छा विकल्प माना जाता है।