रूस तथा अर्जेन्टीना में शुल्क कटौती से भारत में खाद्य तेलों का आयात होगा सस्ता
29-Jul-2025 04:48 PM

मुम्बई। दुनिया के दो महत्वपूर्ण खाद्य तेल निर्यातक देश- रूस तथा अर्जेन्टीना की सरकार ने निर्यात शुल्क में कटौती या स्थगन की घोषणा की है ताकि पिछले स्टॉक को घटाया जा सके।
इससे खासकर भारत को विशेष फायदा होगा जो इसका सबसे प्रमुख खरीदार है। भारत में सोयाबीन तेल का सर्वाधिक आयात अर्जेन्टीना से होता है जबकि रूस से सूरजमुखी तेल सबसे ज्यादा मंगाया जाता है।
25 जुलाई 2025 को रूस की सरकार ने 31 अगस्त 2025 तक सूरजमुखी तेल एवं इसके डीओसी पर लगे फ्लोटिंग निर्यात शुल्क को स्थगित रखने की घोषणा की थी
और उसके बाद अर्जेन्टीना की सरकार ने सोयाबीन, सोया तेल एवं सोयामील के साथ-साथ सूरजमुखी तेल पर भी निर्यात शुल्क में काफी कटौती करने का निर्णय लिया है ताकि अंतर्राष्ट्रीय निर्यात बाजार में इन उत्पादों की प्रतिस्पर्धी क्षमता में बढ़ोत्तरी हो सके।
इन दोनों महत्वपूर्ण निर्यातक देशों में शुल्क कटौती होने से वैश्विक बाजार में खाद्य तेल की कीमतों पर दबाव पड़ेगा और भारत में आयात सस्ता हो जाएगा। इसके फलस्वरूप त्यौहारी महीनों में घरेलू बाजार में खाद्य तेलों का भाव कुछ घट सकता है।
लैटिन अमरीकी देश- अर्जेन्टीना की सरकार ने 26 जुलाई को घोषित अपने निर्णय के तहत निर्यात शुल्क को सोया तेल एवं सोयामील पर 31 प्रतिशत से घटाकर 24.5 प्रतिशत तथा सोयाबीन पर 33 प्रतिशत से घटाकर 26 प्रतिशत नियत कर दिया है।
अर्जेन्टीना के राष्ट्रपति का कहना है कि यह शुल्क कटौती स्थायी है और उनके कार्यकाल के दौरान इसमें कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
ध्यान देने की बात है कि 27 जनवरी 2025 को भी यही शुल्क दर 30 जून तक अस्थायी रूप से लागू की गई थी मगर 1 जुलाई से पुनः पुरानी दरें प्रभावी हो गई थीं।
अर्जेन्टीना से भारत में सोयाबीन तेल के साथ-साथ सूरजमुखी तेल का आयात भी बड़े पैमाने पर किया जाता है जबकि रूस से सूरजमुखी तेल का विशाल तथा सोयाबीन तेल का सीमित आयात होता है।
रूस में 1 जुलाई 2025 से सूरजमुखी तेल पर 4739 रूबल प्रति टन तथा सूरजमुखी खली पर 1054-1244 रूबल प्रति टन का फ्लोटिंग निर्यात शुल्क लागू किया गया था मगर 25 जुलाई से इसे 31 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया गया। रूस में सूरजमुखी एवं मूल्य संवर्धित उत्पादों का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है जब नया माल भी जल्दी आने वाला है।