तिलहनों की बिजाई में आ रही गिरावट चिंता का विषय

29-Jul-2025 06:06 PM

नई दिल्ली। उम्मीद के अनुरूप इस बार मूंगफली का रकबा गत वर्ष से आगे चल रहा है जबकि सोयाबीन का क्षेत्रफल काफी पीछे हो गया है। मूंगफली के बिजाई क्षेत्र का अंतर भी काफी घट गया है।

दरअसल खरीफ सीजन के इन दोनों प्रमुख तिलहनों का घरेलू बाजार भाव 2024-25 के मार्केटिंग सीजन में घटकर न्यूनतम समर्थन मूल्य हो काफी नीचे आ गया और रिकॉर्ड सरकारी खरीद के बावजूद यह समर्थन मूल्य तक नहीं पहुंच सका।

यद्यपि गुजरात एवं राजस्थान जैसे शीर्ष उत्पादक राज्यों में मूंगफली की खेती के प्रति किसानों में उत्साह एवं आकर्षण बरकरार है लेकिन अन्य प्रांतों में उसकी दिलचस्पी कम देखी जा रही है।

जहां तक सोयाबीन का सवाल है तो इसका रकबा दूसरे एवं तीसरे नम्बर के उत्पादक प्रान्त- महाराष्ट्र एवं राजस्थान में गत वर्ष से काफी पीछे हो गया है। 

केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि खरीफ कालीन तिलहन फसलों का कुल उत्पादन क्षेत्र इस वर्ष 25 जुलाई तक 166.90 लाख हेक्टेयर पर ही पहुंच सका जो गत वर्ष की इसी अवधि के बिजाई क्षेत्र 170.75 लाख हेक्टेयर से 3.85 लाख हेक्टेयर कम है।

इस अवधि में यद्यपि मूंगफली का क्षेत्रफल 40 हजार हेक्टेयर बढ़कर 41.17 लाख हेक्टेयर तथा तिल का रकबा 30 हजार हेक्टेयर सुधरकर 7.45 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा

मगर सोयाबीन का उत्पादन क्षेत्र 121.40 लाख हेक्टेयर से लुढ़ककर 116.70 लाख हेक्टेयर रह गया। इंदौर स्थित संस्था- सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिशन ऑफ इंडिया (सोपा) ने सोयाबीन के कुल उत्पादन क्षेत्र में 5-7 प्रतिशत तक की गिरावट आने की आशंका व्यक्त की थी।

सूरजमुखी का बिजाई क्षेत्र गत वर्ष के लगभग बराबर ही है। राजस्थान बारिश होने एवं खेतों में पानी जमा हो जाने से सोयाबीन एवं मूंगफली की फसल को आंशिक रूप से क्षति होने की संभावना है।

तिलहनों का घरेलू उत्पादन बढ़ाना आवश्यक है अन्यथा विदेशों से खाद्य  तेलों के आयात पर निर्भरता घटाने में भारी कठिनाई हो सकती है।