भरपूर आपूर्ति एवं बेहतर उत्पादन की उम्मीद से दलहन बाजार स्थिर रहने के आसार

28-May-2025 01:50 PM

मुम्बई। दाल-दलहनों के घरेलू बाजार मूल्य में आगामी महीनों के दौरान जोरदार चढ़ाव-उतार आने की संभावना नहीं है क्योंकि एक तो इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति सुगम बनी हुई है और दूसरे, मानसून की अच्छी बारिश के सहारे खरीफ सीजन में दलहनों का उत्पादन भी बेहतर होने के आसार हैं। इसके अलावा विदेशों से दलहनों का नियमित रूप से आयात भी हो रहा है।

आयात में कोई दबाव न पड़े इसके लिए सरकार ने तुवर एवं उड़द के शुल्क मुक्त आयात की समय सीमा 31 मार्च 2026 तक बढ़ा दी है और देसी चना तथा मसूर के आयात पर भी केवल 10-10 प्रतिशत का सीमा शुल्क लगाया है। पीली मटर का शुल्क मुक्त आयात 31 मई तक जारी रहेगा। इस पर सरकार शीघ्र ही निर्णय लेने वाली है। 

एक अग्रणी व्यापारिक संस्था- इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन (आईपीजीए) के चेयरमैन का कहना है कि दलहन बाजार में तेजी की संभावना क्षीण पड़ती जा रही है।

उपभोक्ताओं के लिए यह अच्छी खबर है कि वर्ष 2025 के शेष महीनों में किसी भी दाल-दलहन के दाम में भारी तेजी नहीं आने वाली है। दुनिया के प्रमुख निर्यातक देशों में दलहनों का अच्छा खासा स्टॉक मौजूद है और भारत में भी दलहन फसलों का उत्पादन बेहतर होने की उम्मीद है। 

चेयरमैन के मुताबिक अधिकांश दलहनों का घरेलू बाजार भाव या तो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के आसपास या उससे नीचे चल रहा है।

जहां तक तुवर (अरहर) का सवाल है तो इस बार सरकार को इसकी 5.50-6.00 लाख टन की खरीद करने में सफलता हासिल हो चुकी है और इस भारी-भरकम खरीद के लिए तुवर का भाव एमएसपी से नीचे ही चल रहा है।

2024-25 सीजन के लिए तुवर का न्यूनतम समर्थन मूल्य 7550 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है जबकि महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात एवं मध्य प्रदेश जैसे शीर्ष उत्पादक राज्यों की प्रमुख थोक मंडियों में इसका भाव महज 6000 से 7200 रुपए प्रति क्विंटल के बीच ही चल रहा है। 

मोटे अनुमान के अनुसार वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-मार्च) के दौरान देश में दलहनों का कुल आयात तेजी से उछलकर 68 लाख टन के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया जिससे इस पर खर्च होने वाली राशि भी बढ़कर 5.40 अरब डॉलर के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई।