एथनॉल निर्माण में चावल की विशाल मात्रा का उपयोग होने की उम्मीद
27-Jun-2025 03:36 PM

नई दिल्ली। एथनॉल निर्माण के लिए सरकार ने रिकॉर्ड मात्रा में चावल का आवंटन किया है जिससे केन्द्रीय पूल में इसके विशाल स्टॉक को घटाने में सहायता मिलेगी। भारत दुनिया में चावल का सबसे प्रमुख उत्पादक एवं निर्यातक देश बना हुआ है।
कुछ वर्ष पूर्व तक एथनॉल उद्योग के लिए सरकार के पास चावल का स्टॉक नहीं था मगर अब इसकी कोई कमी नहीं है। अभाव से अधिशेष तक का यह सफर काफी दिलचस्प रहा है।
हालत यह हो गई थी कि सरकार को 100 प्रतिशत टूटे चावल तथा साबुत कच्चे (सफेद) चावल के व्यापारिक निर्यात पर प्रतिबंध लगाना पड़ा और बासमती सेला चावल पर 20 प्रतिशत का सीमा शुल्क लागू करना पड़ा और बासमती चावल के लिए 1200 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य नियत करना पड़ा लेकिन समय ने पलटा खाया और एक-एक करके सरकार ने इन सभी नियंत्रण को समाप्त कर दिया।
आज स्थिति यह है कि सरकारी गोदामों में चावल का अत्यन्त विशाल स्टॉक मौजूद है और घरेलू प्रभाग में भी इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति सुगम बनी हुई है जिससे निर्यातकों को शिपमेंट के लिए उचित मूल्य पर इसे प्राप्त करने में कोई कठिनाई नहीं हो रही है।
एथनॉल निर्माण के लिए पहले डिस्टीलरीज को 2250 रुपए प्रति क्विंटल के निश्चित मूल्य पर बिक्री के लिए खाद्य मंत्रालय ने 24 लाख टन चावल का कोटा आवंटित किया था जिसे बाद में दोगुने से ज्यादा बढ़ाकर 52 लाख टन निर्धारित कर दिया।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार सरकार की पहली प्राथमिकता यह है कि केन्द्रीय पूल में चावल का पर्याप्त स्टॉक सुरक्षित रखा जाए लेकिन चूंकि वहां स्टॉक जरूरत से काफी अधिक बढ़ गया है इसलिए इसके कुछ भाग का उपयोग एथनॉल निर्माण में करने का निर्णय लिया गया।
भारतीय खाद्य निगम द्वारा एथनॉल निर्माताओं के लिए 52 लाख टन चावल की रिकॉर्ड मात्रा का आवंटन किया गया है जो 2024-25 के मार्केटिंग सीजन के कुल वैश्विक निर्यात का लगभग 9 प्रतिशत है। पिछले साल एफसीआई द्वारा एथनॉल निर्माण के लिए 3000 टन से भी कम चावल की आपूर्ति की गई थी।