ईरान को भारतीय बासमती चावल का निर्यात गत वर्ष के करीब होने की उम्मीद
24-Jun-2025 04:16 PM

नई दिल्ली। हालांकि इजरायल के साथ भयंकर युद्ध में उलझे ईरान में भारत से बासमती चावल का निर्यात आंशिक रूप से प्रभावित होने की आशंका व्यक्त की जा रही थी लेकिन अब व्यापार विश्लेषकों का मानना है कि कुल शिपमेंट पिछले साल के लगभग बराबर ही रहेगा।
गत वर्ष वहां करीब 8.60 लाख टन भारतीय बासमती चावल का निर्यात हुआ था। बासमती चावल का निर्यात ऑफर मूल्य नरम पड़ गया है। आमतौर पर ईरान को 100 डॉलर प्रति छूट के साथ चावल की बिक्री की जाती है।
ईरान को लगभग एक लाख टन चावल का निर्यात शिपमेंट होना था और उसके स्टॉक को बंदरगाहों पर पहुंचा भी दिया गया था लेकिन इजरायल के साथ लड़ाई आरंभ हो जाने के कारण यह शिपमेंट अभी तक संभव नहीं हो पाया है।
अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ (ऐरिया) के अनुसार ईरान को निर्यात के लिए एक लाख टन बासमती चावल का अनुबंध किया गया था और इसका स्टॉक कांडला तथा मूंदड़ा बंदरगाह पर पिछले कई दिनों से अटका हुआ है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार हालांकि ईरान के खरीदारों को स्पष्ट रूप से सूचित कर दिया गया है कि भारत से बासमती चावल के निर्यात शिपमेंट के दौरान यदि कोई गड़बड़ी या घटना होगी
तो उसकी जिम्मेवारी आयातकों की होगी क्योंकि इजरायल की बमबारी एवं मिसाइल हमलों को देखते हुए चावल की सुरक्षित डिलीवरी की कोई गारंटी नहीं दी जा सकती लेकिन इसके बावजूद भारतीय निर्यातक पूर्व में हुए अनुबंधों के तहत चावल का निर्यात शिपमेंट करने से हिचक रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि ईरान में सामान्य श्रेणी एवं बासमती चावल मंगाने के लिए आयातकों को सरकारी परमिट की जरूरत पड़ती है और आमतौर पर जुलाई से सितम्बर की अवधि में कोई परमिट जारी नहीं किया जाता है क्योंकि इस अवधि में वहां धान की नई फसल की कटाई-तैयारी होती है।
नया परमिट अब अक्टूबर से जारी होने की संभावना है जबकि तब तक इजरायल के साथ युद्ध समाप्त हो चुका होगा। लेकिन जुलाई से पूर्व के परमिट पर जो अनुबंध हुए हैं केवल उसकी खेप ही भेजी जा सकती है।
यदि मौजूद अनुबंध के तहत भारतीय निर्यातकों का माल सितम्बर तक भी ईरान पहुंचता है तो वहां कुल निर्यात ज्यादा प्रभावित नहीं होगा क्योंकि सामान्यतः इस अवधि में वहां चावल नहीं भेजा जाता। अक्टूबर से नया अनुबंध और चावल का शिपमेंट नियमित रूप से आरंभ हो सकता है।