कनाडा में हरी मसूर का रकबा बढ़ने एवं लाल मसूर का स्थिर रहने का अनुमान

27-Jun-2025 04:17 PM

सस्काटून। पश्चिमी कनाडा के दोनों शीर्ष उत्पादक राज्यों- सस्कैचवान तथा अल्बर्टा में मसूर की बिजाई समान होने के बाद अब सबका ध्यान फसल की प्रगति पर केन्द्रित है।

सरकारी संस्था- स्टेट्स कैन की रिपोर्ट आज यानी 27 जून को जारी होने वाली है जिसमें अन्य जिंसों के साथ मसूर के बिजाई क्षेत्र का अनुमानित आंकड़ा भी दिया जाएगा।

मोटे तौर पर पिछले साल के मुकाबले इस बार कनाडा में हरी मसूर के उत्पादन क्षेत्र में अच्छी बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है जबकि लाल मसूर का बिजाई क्षेत्र लगभग स्थिर या बरकरार रहने की संभावना है। 

सबसे प्रमुख मसूर उत्पादक प्रान्त- सस्कैचवान के कई भागों में हाल में हुई वर्षा से फसल को काफी फायदा होने के आसार हैं और इससे औसत दर के सम्बन्ध में बनी अनिश्चितता कुछ कम हुई है वहां फसल को कीड़ों-रोगों से खतरा बढ़ गया है।

इसके साथ-साथ खेतों में पानी जमा होने से मसूर की क्वालिटी भी प्रभावित हो सकती है। सस्कैचवान प्रान्त की मंडियों में मसूर का भाव लगभग स्थिर बना हुआ है। 

व्यापार विश्लेषकों के मुताबिक मौसम सम्बन्धी घटनाक्रमों का फिलहाल मसूर के बाजार पर कोई खास असर नहीं पड़ा है लेकिन आगे कीमतों में कुछ परिवर्तन हो सकता है। यदि मौसम एवं वर्षा की स्थिति अनुकूल रही तो मसूर का भाव स्थिर या नरम रह सकता है लेकिन अगर कहीं भारी वर्षा एवं  

कहीं सूखे का प्रकोप रहा तो कीमतों में कुछ तेजी-मजबूती भी आ सकती है। मोटी हरी मसूर के मौजूदा स्टॉक वाले माल का दाम 43-45 सेंट प्रति पौंड तथा अगली नई फसल का मूल्य 38-40 सेंट प्रति पौंड बताया जा रहा है। छोटी हरी मसूर की मौजूदा एवं आगामी फसल का भाव 35 से 37 सेंट प्रति पौंड के समान स्तर पर बरकरार है।

लाल मसूर में कारोबार बेहद धीमा हो गया है और हाल के सप्ताहों में इसकी कीमतों में थोड़ी नरमी भी आई है। इसका भाव 28-30 सेंट प्रति पौंड चल रहा है। 

व्यापार विश्लेषकों के अनुसार जब तक कनाडा अथवा ऑस्ट्रेलिया में फसल को प्रभावित करने वाला कोई जोरदार कारक सामने नहीं आता तब तक मसूर के दाम में भारी उतार-चढ़ाव होना मुश्किल है।

मटर की नई फसल की कटाई-तैयारी कनाडा में अगस्त-सितम्बर में शुरू होगी और इसके बाद ऑस्ट्रेलिया में आरंभ हो जाएगी।

भारत में इन दोनों देशों से मसूर का विशाल आयात होता है और इससे वहां कीमतों में मजबूती बनी रहती है। मगर अब मसूर के आयात की गति धीमी पड़ गई है। भारत सरकार ने मसूर पर 10 प्रतिशत का आयात शुल्क लगा दिया है जो 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी हो चुका है।