महाराष्ट्र के अनेक जिलों में वर्षा की भारी कमी से खरीफ फसलों की बिजाई प्रभावित
24-Jun-2025 03:30 PM

पुणे। मौसम विभाग की रिपोर्ट से पता चलता है कि चालू माह (जून) के शुरुआती 23 दिनों के दौरान महाराष्ट्र के अनेक जिलों में वर्षा का भारी अभाव रहा और राज्य का पूर्वी हिस्सा तथा मराठवाड़ा संभाग में बारिश की भारी कमी से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ। वर्षा की भारी कमी वाले जिलों में खरीफ फसलों की बिजाई की गति काफी धीमी देखी जा रही है।
मौसम विभाग के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार महाराष्ट्र में सामान्य औसत के मुकाबले 23 जून तक वर्षा की कमी वाशिम जिले में 86 प्रतिशत, हिंगोली, अमरावती, अकोला, नागपुर एवं भंडारा जिलों में 75 प्रतिशत, बीड में 69 प्रतिशत, जालना में 67 प्रतिशत, परभणी में 61 प्रतिशत तथा सोलापुर में 62 प्रतिशत दर्ज की गई। ये ऐसे जिले हैं जहां वर्षा का अभाव 60 प्रतिशत से ज्यादा रहा।
इसके अलावा राज्य के जिन जिलों में सामान्य औसत की तुलना में 20 से 59 प्रतिशत तक कम बारिश हुई उसमें लातूर (31%), चंद्रपुर (45 प्रतिशत), यवतमाल (49%), गोंदिया (53%), बुलढाणा (39%), एवं वर्धा (38%), शामिल है।
इसी तरह वर्षा की कमी अहमदनगर में 13 प्रतिशत, ओरंगाबाद में 18 प्रतिशत, जलगांव में 15 प्रतिशत, धुले में 10 प्रतिशत तथा सांगली में 4 प्रतिशत दर्ज की गई। लेकिन सतारा में 19 प्रतिशत बारिश हुई।
दूसरी ओर महाराष्ट्र में कुछ ऐसे भी जिले हैं जहां सामान्य औसत से काफी अधिक वर्षा हुई। इसके तहत सिंधु जिले में 21 प्रतिशत, रत्नागिरी में 59 प्रतिशत पुणे में 101 प्रतिशत, नासिक में 114 प्रतिशत एवं रायगढ़ में 123 प्रतिशत अधिक वर्षा दर्ज की गई।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि मराठवाड़ा एवं विदर्भ संभाग के प्रमुख उत्पादक जिलों में मानसूनी बारिश का भारी अभाव होने से कृषि क्षेत्र के लिए गंभीर खतरा पैदा हो गया है। किसानों की चिंता काफी बढ़ गई है और खरीफ फसलों की बिजाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है।
अगले 10 दिनों के अंदर वर्षा की हालत में पर्याप्त सुधार नहीं आया तो अभावग्रस्त जिलों में खरीफ फसलों का उत्पादन घटने की आशंका बढ़ जाएगी।
इन जिलों में खासकर सोयाबीन एवं कपास की खेती बड़े पैमाने पर होती है जबकि तुवर सहित अन्य फसलों का भी भारी उत्पादन होता है।