मानसून की अच्छी बारिश से धान के क्षेत्रफल में शानदार वृद्धि
06-Aug-2025 09:20 PM

नई दिल्ली। हालांकि केन्द्रीय एजेंसी- भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के पास चावल का अत्यन्त विशाल स्टॉक मौजूद है और घरेलू प्रभाग में भी इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति सुगम होने से कीमतों में स्थिरता का माहौल देखा जा रहा है
लेकिन इस वास्तविकता से प्रभावित हुए बगैर भारतीय किसान धान का रकबा बढ़ाने का जबरदस्त प्रयास कर रहे हैं क्योंकि उसे अपने उत्पाद की बिक्री के लिए कोई चिंता नहीं है। केन्द्र सरकार प्रत्येक वर्ष किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर विशाल मात्रा में धान की खरीद करती है और इस बार भी करेगी।
इस वर्ष प्रमुख उत्पादक राज्यों में दक्षिण-पश्चिम मानसून की काफी अच्छी बारिश हुई है और अब भी हो रही है जिसमें पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, तेलंगाना, बंगाल, बिहार एवं झारखंड आदि शामिल हैं।
इसके फलस्वरूप अखिल भारतीय स्तर पर धान का उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष के 273.70 लाख हेक्टेयर से 45.70 लाख हेक्टेयर उछलकर इस बार 4 अगस्त तक 319.40 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया।
इस वर्ष धान का सामान्य औसत क्षेत्रफल 403.10 लाख हेक्टेयर आंका गया है। अगस्त माह के दौरान धान की रोपाई देश के पूर्वी एवं दक्षिणी राज्यों में बड़े पैमाने पर होती है।
कहीं-कहीं इसका सिलसिला सितम्बर तक जारी रहता है। इसे देखते हुए प्रतीत होता है कि धान का क्षेत्रफल गत वर्ष की भांति चालू खरीफ सीजन में नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकता है। इससे चावल के उत्पादन में भी अच्छी बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है।
केन्द्र सरकार ने 2024-25 सीजन की तुलना में 2025-26 सीजन के लिए धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 69 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ा दिया है।
इससे सामान्य श्रेणी के धान का समर्थन मूल्य 2300 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़कर 2369 रुपए प्रति क्विंटल तथा 'ए' ग्रेड धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2320 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़कर 2389 रुपए प्रति क्विंटल हो गया है। किसानों के लिए यह समर्थन मूल्य काफी आकर्षक है। धान की रोपाई आगे भी जारी रहेगी।