मानसून के बारे में वायरल सूचना पर भरोसा करना मुश्किल
23-Jun-2025 01:11 PM

तिरुअनन्तपुरम। मौसम के तथा कथित जानकारों द्वारा सोशल मीडिया पर मानसून की वर्षा के बारे में जो आंकड़े दिए जा रहे हैं उसमें से कुछ आंकड़ों पर भरोसा करना मुश्किल है। ये आंकड़े अपने आप में पूर्ण नहीं होते हैं और कुछ सत्य तो कुछ भ्रामक भी होते हैं।
यह सही है कि 1 से 15 जून 2025 तक दक्षिण-पश्चिम मानसून काफी हद तक निष्क्रिय बना रहा जिससे देश में सामान्य औसत से 31 प्रतिशत कम बारिश हुई
लेकिन 16 जून से इसकी सक्रियता एवं गतिशीलता इतनी तेजी से बढ़ी कि 21 जून तक आते-आते राष्ट्रीय स्तर पर वर्षा में गिरावट का स्तर घटकर महज 5 प्रतिशत रह गया। मौसम विभाग को उम्मीद है कि जून के अंत तक कुछ बारिश बढ़कर सामान्य औसत से ऊपर पहुंच जाएगी।
एक वायरल सूचना के अनुसार चालू मानसून सीजन के दौरान 22 जून 2025 तक देश के विभिन्न उपखंडों / राज्यों में सामान्य औसत से काफी कम बारिश हुई।
इसके तहत महाराष्ट्र के विदर्भ संभाग में 59 प्रतिशत एवं मराठवाड़ा संभाग में 41 प्रतिशत, तेलंगाना में 45 प्रतिशत, अरुणाचल प्रदेश में 40 प्रतिशत, छत्तीसगढ़ में 39 प्रतिशत, तटीय आंध्र प्रदेश में 37 प्रतिशत तथा आसाम-मेघालय में 34 प्रतिशत कम बारिश हुई।
ये आंकड़े मौसम विभाग के आंकड़ों पर आधारित हैं इसलिए इसको गलत ठहरना मुश्किल है। दिलचस्प तथ्य यह है कि महाराष्ट्र में कुल मिलाकर वर्षा सामान्य औसत से 4 प्रतिशत अधिक हुई है मगर इसका वितरण असमान रहा है।
इसी तरह पूर्वोत्तर राज्यों में मानसून की जोरदार बारिश होने से भयंकर बाढ़ आ गई थी जिसमें आसाम और मेघालय भी शामिल थे। इसके अलावा त्रिपुरा, मणिपुर एवं मिजोरम में भी अच्छी वर्षा हुई है।
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मानसून 16 जून को पहुंचा और उसके बाद वहां भारी वर्षा होने लगी। आंध्र प्रदेश के आंतरिक भाग में तो सामान्य बारिश हुई है
मगर तटीय भाग कुछ सूखा रह गया है। सिर्फ मौसम विभाग के आधिकारिक आंकड़ों पर ही विश्वास किया जाना चाहिए- किसी अन्य वायरल सूचना पर नहीं।