पांच माह में 3 लाख टन से अधिक अरंडी तेल का निर्यात

20-Jun-2025 01:39 PM

मुम्बई। हालांकि पिछले साल के मुकाबले चालू वर्ष के दौरान भारत से अरंडी तेल के निर्यात का प्रदर्शन कुछ कमजोर चल रहा है मगर फिर भी अनेक देशों में इसकी अच्छी मांग देखी जा रही है।

सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सी) द्वारा संकलित आंकड़ों से पता चलता है कि चालू कैलेंडर वर्ष के शुरूआती पांच महीनों में यानी जनवरी-मई 2025 के दौरान देश से करीब 3.09 लाख टन अरंडी तेल का निर्यात हुआ। जिससे अच्छी आमदनी प्राप्त हुई। मगर पिछले साल से निर्यात इस बार कम हुआ। 

प्राप्त आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2024 के मुकाबले 2025 के दौरान भारत से अरंडी का निर्यात जनवरी में 53,204 टन से फिसलकर 52,926 टन, फरवरी में 65,663 टन से गिरकर 58,092 टन, अप्रैल में 72,801 टन से घटकर 63,373 टन तथा मई में 89,786 टन से लुढ़ककर 68,982 टन पर अटक गया जबकि मार्च में निर्यात 65,170 टन से सुधरकर 65,326 टन पर पहुंच गया। 

अरंडी तेल का निर्यात वर्ष 2024 की सम्पूर्ण अवधि (जनवरी-दिसम्बर) के दौरान उछलकर 6,49,510 टन के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया था जबकि इसकी मात्रा वर्ष 2023 में 6,29,418 तथा वर्ष 2022 में 5,82,399 टन दर्ज की गई थी।

अरंडी तेल को एक महातपवूर्ण अखाद्य तेल माना जाता है और विभिन्न औद्योगिक उद्देश्यों में इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है। भारत दुनिया में अरंडी का सबसे बड़ा उत्पादक एवं अरंडी तेल तथा अरंडी मील का सबसे प्रमुख निर्यातक देश बना हुआ है।

वस्तुतः अरंडी तेल के वैश्विक निर्यात बाजार पर भारत का लगभग एकाधिकार बना हुआ है और दुनिया का कोई अन्य देश इसे दूर-दूर तक चुनौती देने की स्थिति में नहीं है। फिर भी अरंडी तेल का भाव आकर्षक एवं प्रतिस्पर्धी स्तर पर रहता है। 

भारत में गुजरात अरंडी का सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य है और राष्ट्रीय उत्पादन में इसका योगदान 70-80 प्रतिशत रहता है। इसके अलावा राजस्थान आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना सहित कुछ अन्य राज्यों में भी इसका उत्पादन होता है।

अरंडी के उत्पादन में राजस्थान दूसरे नंबर पर रहता है। अरंडी मुख्यतः खरीफ कालीन औद्योगिक तिलहन फसल है। दक्षिण भारत में इसकी बिजाई आरंभ हो गई है

जबकि गुजरात एवं राजस्थान में अगले महीने से शुरू होगी। 2023-24 की तुलना में 2024-25 सीजन के दौरान अरंडी के घरेलू उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई।

गुजरात में नई फसल अक्सर जनवरी-फरवरी में आनी शुरू होती है जबकि राजस्थान में दिसम्बर-जनवरी में तथा आंध्र-तेलंगाना में नवम्बर-दिसम्बर में आने लगती है।