पीली मटर के वैश्विक निर्यात बाजार पर रूस का वर्चस्व बढ़ने के संकेत

24-Jun-2025 05:40 PM

मास्को। शानदार उत्पादन एवं प्रतिस्पर्धी मूल्य के सहारे पीली मटर के अंतर्राष्ट्रीय निर्यात बाजार पर रूस की पकड़ मजबूत होती जा रही है। हाल ही में उसने चीन को जुलाई-अगस्त की डिलीवरी के लिए अपनी पीली मटर का निर्यात ऑफर मूल्य 20 डॉलर घटाकर 355 डॉलर प्रति टन कर दिया।

इसके अलावा भारत के लिए इसका ऑफर मूल्य 5 डॉलर घटकर 370 डॉलर प्रति टन तथा पाकिस्तान के लिए ऑफर मूल्य 10 डॉलर घटकर 365 डॉलर प्रति टन नियत कर दिया। रूस के इस आक्रामक रुख से खासकर कनाडा के उत्पादकों एवं निर्यातकों की कठिनाई बढ़ जाएगी जो अब तक पीली मटर का सबसे प्रमुख उत्पादक एवं निर्यातक देश बना हुआ था। 

कनाडा में पीली मटर का निर्यात ऑफर मूल्य भारत के लिए 430 डॉलर प्रति टन और चीन के लिए 370 डॉलर प्रति टन के पूर्व स्तर पर बरकरार है। इस तरह कनाडा की तुलना में रूस की मटर का दाम भारत के लिए 60 डॉलर प्रति टन नीचे हो गया है।

ऐसी हालत में भारतीय आयातक स्वाभाविक रूप से रूसी मटर की तरफ ज्यादा आकर्षित होंगे। इस वर्ष रूस में मटर का उत्पादन शानदार होने के संकेत मिल रहे हैं।

प्राप्त आंकड़ों के अनुसार 2024-25 सीजन के दौरान रूस में मटर का उत्पादन तेजी से बढ़कर 51 लाख टन के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया जो कनाडा के उत्पादन 31.70 लाख टन से बहुत ज्यादा था।

इस विशाल उत्पादन के कारण रूस को अपनी मटर का दाम आकर्षक स्तर पर रखने में सफलता मिल रही है और एशिया के महत्वपूर्ण बाजारों में इसकी पहुंच बढ़ रही है। चीन में कनाडाई मटर पर 100 प्रतिशत का आयात शुल्क लगा हुआ है। 

दिलचस्प तथ्य यह है कि 2025-26 सीजन के लिए रूस और कनाडा दोनों ने ही मटर का उत्पादन बढ़ने का दावा किया है लेकिन रूस का उत्पादन कनाडा से अधिक होगा और उसका मूल्य भी प्रतिस्पर्धी स्तर पर रहेगा इसलिए वैश्विक बाजार में उसकी अग्रता बरकरार रह सकती है।

भारत सरकार ने पीली मटर के शुल्क मुक्त आयात की अवधि 31 मार्च 2026 तक बढ़ा दी है इसलिए आयातकों को अपनी रणनीति बनाने का पर्याप्त अवसर मिल जाएगा और मटर का आयात करने में जल्दबाजी दिखाने के लिए विवश नहीं होना पड़ेगा।

रूस में अगले महीने से तथा कनाडा में अगस्त से मटर की नई फसल की कटाई-तैयारी शुरू होने की संभावना है और उसके बाद अंतर्राष्ट्रीय निर्यात बाजार में दोनों देशों के बीच तीव्र प्रतिस्पर्धा शुरू हो जाएगी मगर इसमें रूस का पलड़ा कनाडा से काफी भारी रह सकता है।