सीमित कारोबार के बीच जीरा में भारी तेजी-मंदी की संभावना कम

23-Jun-2025 05:19 PM

राजकोट। जीरा की घरेलू एवं निर्यात मांग ज्यादा मजबूत नहीं है इसलिए प्रमुख उत्पादक मंडियों में सीमित आपूर्ति के बावजूद इसकी कीमतों में कोई खास तेजी नहीं देखी जा रही है।

यदि कभी-कभार दाम थोड़ा-बहुत बढ़ता है तो जल्दी ही यह घटकर नीचे भी आ जाता है। गुजरात की बेंचमार्क ऊंझा मंडी में 8-10 हजार बोरी जीरे की औसत दैनिक आवक हो रही है।

भारत में जीरा फसल की कटाई-तैयारी पहले ही समाप्त हो चुकी है जबकि अब तुर्की, सीरिया, अफगानिस्तान एवं ईरान जैसे देशों में इसके नए माल की आवक का समय आरंभ हो गया है।

चीन में भी नई फसल आने वाली है जिससे वैश्विक बाजार में जीरे की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ेगी और भारत को चुनौती या प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा।

भारतीय जीरे की निर्यात मांग कुछ समय के लिए कमजोर पड़ सकती है क्योंकि अन्य आपूर्तिकर्ता देशों का माल अपेक्षाकृत सस्ते दाम पर उपलब्ध हो सकेगा। भारत का जीरा उच्च क्वालिटी का होता है इसलिए इसका दाम भी ऊंचा रहता है। 

कीमतों में नरमी या स्थिरता का माहौल रहने से गुजरात और राजस्थान के किसान काफी परेशान तथा दुविधाग्रस्त हैं। मंडियों में आवक सीमित होने के बावजूद कीमतों में तेजी आने के संकेत नहीं मिल रहे हैं।

आगामी समय में भी इसमें जोरदार तेजी आने में संदेह है क्योंकि कुछ समय के लिए इसकी निर्यात मांग कमजोर रह सकते है। घरेलू प्रभाग में दक्षिण-पश्चिम मानसून की सक्रियता बढ़ती जा रही है जिससे जीरा का कारोबार और भी प्रभावित हो सकता है। 

ऊंझा मंडी में जीरा का भाव घटकर प्रति 20 किलो का 4000 रुपए से नीचे आ गया जिसका मतलब यह है कि यह 200 रुपए प्रति किलो या 20,000 रुपए प्रति क्विंटल से भी कम है। लेकिन अच्छी क्वालिटी के जीरे में थोड़ा-बहुत कारोबार हो रहा है।

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के थोक किराना बाजार में भी जीरा का दाम फिसलकर सामान्य क्वालिटी के लिए पिछले सप्ताह 21,200-21,800 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गया था। 

वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान देश से करीब 2.30 लाख टन जीरा का शानदार निर्यात हुआ जो 2023-24 के शिपमेंट 1.65 लाख टन से काफी अधिक रहा। समीक्षाधीन अवधि में इसकी निर्यात आमदनी भी  5797.23 करोड़ रुपए से बढ़कर 6178.86 करोड़ रुपए पर पहुंच गई।