दलहनों पर दिनभर रही चर्चा: कीमतों में गिरावट और आयात में बढ़ोतरी बनी चिंता का कारण
28-May-2025 03:33 PM

दलहनों पर दिनभर रही चर्चा: कीमतों में गिरावट और आयात में बढ़ोतरी बनी चिंता का कारण
★ आज पूरे दिन मीडिया में दलहनों को लेकर खासा जोर रहा। CNBC आवाज़, ज़ी बिज़नेस, ET Now स्वदेश जैसे प्रमुख समाचार चैनलों से लेकर प्रमुख अख़बारों और डिजिटल पोर्टलों तक, सभी ने दलहनों की गिरती कीमतों, बढ़ते आयात और इससे जुड़ी चुनौतियों पर चर्चा की।
★ इस विषय पर इंडियन पल्स एंड ग्रेन्स एसोसिएशन (IPGA), दाल एंड ग्रेन्स मर्चेंट्स एसोसिएशन (DGMA), BSAF सहित कई अन्य प्रमुख संस्थाओं ने भी अपनी राय रखी।
★ विशेषज्ञों और व्यापारिक संगठनों का मानना है कि हाल के महीनों में आयात में तेज़ी से बढ़ोतरी ने घरेलू मंडियों में दलहनों की कीमतों पर दबाव डाला है। अधिकांश दालों की कीमतें अब न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के नीचे पहुंच चुकी हैं, जिससे किसानों के लिए लाभप्रद व्यापार करना मुश्किल हो गया है।
★ इसी बीच मानसून की रफ्तार और सरकार द्वारा MSP की घोषणाएं भी चर्चा में रहीं। लेकिन अगर किसानों को बिजाई से पहले उचित मूल्य का भरोसा न मिले, तो इसका प्रतिकूल प्रभाव आगामी खरीफ सत्र की बुआई पर पड़ सकता है।
★ कुछ संस्थाओं ने सरकार को पत्र लिखकर दलहन आयात पर मात्रात्मक प्रतिबंध लगाने और यह सुनिश्चित करने की मांग की है कि आयात पड़तल मूल्य (landing cost) MSP से ऊपर हो।
★ यह पूरा तंत्र—किसान, आढ़ती, स्टॉकिस्ट, मिलर्स, आयातक, निर्यातक और थोक व्यापारी—एक-दूसरे से जुड़ा है। यदि इस श्रृंखला की किसी भी एक कड़ी में कमजोरी आती है, तो उसका असर पूरे बाज़ार और आपूर्ति प्रणाली पर पड़ सकता है।
★ पिछले बजट में दलहन उत्पादन बढ़ाने हेतु कई अच्छे प्रावधान किए गए थे, लेकिन यदि किसानों को उचित मूल्य नहीं मिला, तो वे उत्पादन में वृद्धि के लिए प्रेरित नहीं होंगे। यह स्थिति देश की खाद्य सुरक्षा और आत्मनिर्भरता के लिए खतरा बन सकती है।
★ सरकार को दलहनों की कीमतों, आयात नीति और किसानों के हितों पर संतुलित दृष्टिकोण अपनाते हुए त्वरित निर्णय लेने होंगे। अन्यथा, इसका व्यापक असर केवल बाजार ही नहीं, देश की कृषि व्यवस्था पर भी पड़ सकता है।