आई-ग्रेन इंडिया- विशेष रिपोर्ट- "चोकर से चलती थी मिल, अब नहीं उठता — मिलिंग उद्योग की गूंजती पीड़ा”

18-Jun-2025 04:52 PM

आई-ग्रेन इंडिया- विशेष रिपोर्ट- "चोकर से चलती थी मिल, अब नहीं उठता — मिलिंग उद्योग की गूंजती पीड़ा”
★ गेहूं मिलिंग उद्योग संकट में: अब ब्रान भी नहीं बिक रहा।
★ भारत का गेहूं मिलिंग उद्योग आज गंभीर संकट का सामना कर रहा है। वो उद्योग जिसे कभी ब्रान (चोकर) की ऊँची कीमतों का सहारा मिलता था, अब ★ एक ऐसी स्थिति में पहुँच चुका है जहाँ न तो ब्रान बिक रहा है, न ही आटा, मैदा और सूजी के खरीदार मिल रहे हैं। उद्योग के लिए यह दोहरी मार जैसी स्थिति बन गई है।
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★ बीते कुछ सीज़नों में ब्रान की कीमतें गेहूं के MSP के बराबर या उससे भी ऊपर थीं, जिससे मिलर्स को अच्छा मार्जिन मिलता था। उदाहरण के तौर पर:
★ R-22 में ब्रान की कीमत MSP के 92% तक रही।
★ R-23 में तो ब्रान ₹2,200 क्विंटल तक पहुंच गया, जबकि गेहूं का MSP ₹2,125 था — यानी ब्रान की कीमत MSP से 104% तक ऊपर थी।
★ R-24 और R-25 में ब्रान के दाम फिर से सामान्य स्तर (92–95%) पर आ गए, लेकिन तब तक बाजार की मांग कमजोर हो चुकी थी।
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★ शुरुआत में जब ब्रान महँगा बिक रहा था, तो गेहूं पिसाई पर अच्छा रिटर्न मिलता था। मिलिंग यूनिट्स को लागत निकालने में दिक्कत नहीं होती थी और चोकर के दाम ही उत्पादन को टिकाऊ बनाए रखते थे।
★ लेकिन अब हालत बदल गई है।
★ आज चोकर के दाम ₹18–₹20 प्रति किलो तक आ चुके हैं और इतनी कम कीमत पर भी उसे उठाने वाला कोई नहीं है। डिमांड पूरी तरह गायब है।
★ स्टॉक भरे पड़े हैं, लेकिन पेमेंट रुक गए हैं। नकदी संकट इतना गंभीर हो चुका है कि कई मिलें उत्पादन रोकने पर विचार कर रही हैं।
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इस संकट के पीछे कई कारण हैं:
★ निर्यात पर प्रतिबंध: सरकार ने जब गेहूं और उससे बने उत्पादों के निर्यात पर रोक लगाई, तो घरेलू बाजार में भारी आपूर्ति आ गई लेकिन मांग सीमित रही।
★ मक्का आधारित पशु आहार (DDGS) के बढ़ते उपयोग से ब्रान की माँग कम हो गई।
★ घरेलू ग्राहकों द्वारा आटा, मैदा, सूजी आदि की खरीद घट गई, जिससे मिलिंग चेन पूरी तरह प्रभावित हुई।
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★ अब गेहूं का MSP लगातार बढ़ रहा है, लेकिन उससे मिलने वाला ब्रान सस्ता हो गया है और बिक नहीं रहा। इस कारण मिलिंग करना घाटे का सौदा बन गया है।
★ उद्योग की स्पष्ट मांग है: सरकार तुरंत गेहूं उत्पादों के निर्यात की अनुमति दे।
★ जब तक निर्यात नहीं खुलेगा, तब तक बाजार में संतुलन नहीं लौटेगा और मिलिंग यूनिट्स को कोई राहत नहीं मिलेगी।