अमरीका से सोयाबीन का आयात भारतीय किसानों के लिए होगा घातक
30-Oct-2025 06:05 PM
इंदौर। यद्यपि द्विपक्षीय व्यापार वार्ता के क्रम में भारत ने अभी तक अमरीका से सोयाबीन का आयात शुरू करने पर सहमति व्यक्त नहीं की है लेकिन अगर इसकी स्वीकृति दी जाती है तो यह भारतीय किसानों के लिए अत्यन्त घातक साबित हो सकता है।
खाद्य तेल का उदाहरण सबके सामने है। नब्बे के दशक के पूर्वार्द्ध तक भारत खाद्य तेल-तिलहनों के उत्पादन में लगभग आत्मनिर्भर बना हुआ था लेकिन जब आयात को नियंत्रण मुक्त किया गया तो यहां प्रवाह इतनी तेजी से बढ़ा कि देखते ही देखते भारत दुनिया में खाद्य तेलों का सबसे बड़ा आयातक देश बन गया।
यही स्थिति चीन में भी सोयाबीन के मामले में देखी जा रही है। वर्ष 2007 तक वहां सोयाबीन का बहुत कम आयात होता था लेकिन उसके बाद आयात तेजी से बढ़ने लगा और आज वह इसका सबसे प्रमुख आयातक देश बना हुआ है। इसके फलस्वरूप चीन में सोयाबीन के उत्पादन में ठहराव आ गया और इसमें बढ़ोत्तरी के प्रयास अब सफल नहीं हो रहे हैं।
भारत सोयाबीन उत्पादन के मामले में लगभग आत्मनिर्भर इसलिए माना जा सकता है क्योंकि यहां इसकी क्रशिंग- प्रोसेसिंग की क्षमता सीमित है जबकि विदेशों से सोयाबीन तेल सहित अन्य खाद्य तेलों का रिकॉर्ड आयात हो रहा है।
बेशक खाद्य तेलों के विशाल आयात पर अंकुश लगाने की सख्त आवश्यकता है लेकिन इसके लिए सोयाबीन का आयात बढ़ाने के बजाए इसके घरेलू उत्पादन में बढ़ोत्तरी करने पर ध्यान देना ज्यादा लाभदायक साबित होगा।
अमरीका में मुख्यतः जीएम सोयाबीन का उत्पादन होता है जबकि भारत में इसके उत्पादन, आयात एवं उपयोग पर प्रतिबंध लगा हुआ है।
जीएम सोयाबीन परम्परागत किस्मों से सस्ता होता है और यदि इसका भारी आयात शुरू हो गया तो स्वदेशी सोयाबीन का दाम और भी घट जाएगा। जिससे भारतीय किसानों की मुसीबत काफी बढ़ सकती है।
