बाढ़-वर्षा ने बिगाड़ा रूई बाजार का समीकरण

30-Oct-2025 07:59 PM

हैदराबाद। कॉटन क्षेत्र के लिए इस वर्ष परिस्थितियां अनुकूल नहीं देखी जा रही हैं। पहले इसके बिजाई क्षेत्र में करीब 3 लाख हेक्टेयर की कमी आ गई और फिर मानसून की जोरदार वर्षा, खेतों में जल जमाव, तेज हवा के प्रवाह तथा विनाशकारी बाढ़ से फसल कई क्षेत्रों में क्षतिग्रस्त हो गई।

इससे न केवल कपास की उपज दर में कमी आने बल्कि उत्पाद की क्वालिटी भी प्रभावित होने की आशंका बढ़ गई। अब मोंथा तूफान से भी आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना में कपास की फसल पर असर पड़ रहा है। इससे पूर्व महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात के कुछ भागों में बाढ़-वर्षा से फसल क्षतिग्रस्त हो गई थी। 

हालांकि पश्चिमी एवं उत्तरी राज्यों में कपास की बची हुई फसल की हालत अच्छी बताई जा रही है जिससे इसके सकल राष्ट्रीय उत्पादन में ज्यादा गिरावट आने की आशंका नहीं है लेकिन दक्षिणी प्रांतों में हालत संतोषजनक नहीं है।

हाल की वर्षा से कपास में नमी का स्तर काफी बढ़ गया है जिसे बेचने में किसानों को भारी कठिनाई हो सकती है। थोक मंडियों में कपास का भाव पहले से ही न्यूनतम समर्थन मूल्य से काफी नीचे चल रहा है जिससे सरकारी एजेंसी- भारतीय कपास निगम (सीसीआई) को विशाल मात्रा में इसकी खरीद करनी पड़ेगी।

पिछले सीजन में भी निगम द्वारा लगभग 100 लाख गांठ (170 किलो की प्रत्येक गांठ) कपास की खरीद की गई थी। बाढ़-वर्षा से कपास बाजार का समीकरण बिगड़ने की आशंका है। विदेशों से विशाल मात्रा में सस्ती रूई का आयात जारी है और इससे भी घरेलू बाजार मूल्य पर दबाव बना हुआ है।