चीनी का भाव उत्तरी राज्यों में नरम - महाराष्ट्र में स्थिर

20-Aug-2025 01:26 PM

मुम्बई। पिछले दिन चीनी का भाव उत्तर प्रदेश की मिलों में कुछ नरम पड़ गया मगर महाराष्ट्र में स्थिर रहा। इसकी मांग कमजोर बनी हुई है इसलिए निकट भविष्य में कीमतों में ज्यादा तेजी आने की संभावना नहीं है।

व्यापार विश्लेषकों के अनुसार 19 अगस्त को उत्तर प्रदेश में चीनी के एक्स फैक्टरी मूल्य में 10-15 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई। इसकी खरीद में व्यापारियों-डीलर्स की दिलचस्पी कम देखी जा रही है।

हालांकि आगामी समय में कई पर्व-त्यौहार मनाए जाएंगे लेकिन फिर भी चीनी में अपेक्षित मांग नहीं देखी जा रही है जिससे कीमतों पर दबाव बना हुआ है। 

समीक्षकों के मुताबिक अब अगस्त माह के लिए फ्रीसेल कोटा जारी किया गया था तब चीनी के एक्स -फैक्टरी मूल्य में 90-100 रुपए प्रति क्विंटल तक की तेजी आ गई थी लेकिन उसके बाद नरमी का दौर आरंभ हो गया और इसका दाम 30 रुपए प्रति क्विंटल तक नीचे आ चुका है। अगस्त के आरंभ में चीनी में खरीदारों की अच्छी मांग देखी गई थी जो बाद में कमजोर पड़ गई।

उधर महाराष्ट्र में सीमित कारोबार के बीच चीनी का भाव लगभग स्थिर बना हुआ है। बम्बई शुगर मर्चेंट्स एसोसिएशन के सचिव का कहना है कि अगले चार-पांच दिनों तक चीनी का दाम मौजूदा स्तर के आसपास ही घूमता रह सकता है।

महाराष्ट्र के विभिन्न इलाकों में अत्यन्त जोरदार वर्षा होने से चीनी की मांग सुस्त पड़ गई है। बारिश का दौर थमने के बाद ही इसमें सुधार आ सकता है। 

19 अगस्त को चीनी का एक्स फैक्टरी मूल्य पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 10-15 रुपए घटकर 3915-4010 रुपए प्रति क्विंटल तथा मध्यवर्ती उत्तर प्रदेश में भी 10-15 रुपए गिरकर 3915-4010 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गया। दूसरी ओर महाराष्ट्र के मुम्बई में चीनी का दाम 4092-4182 रुपए प्रति क्विंटल तथा कोल्हापुर में 3920/3980 रुपए प्रति क्विंटल पर स्थिर बना रहा। 

न्यूयार्क के इंटरकांटीनेंटल एक्सचेंज (आईसीई) में कच्ची चीनी (रॉ शुगर) का वायदा मूल्य 0.5 प्रतिशत सुधरकर 16.34 सेंट प्रति पौंड पर पहुंचा। ब्राजील में इस बार 60 करोड़ टन से कम गन्ना की क्रशिंग होने की संभावना है जबकि मिलर्स चीनी के बजाए एथनॉल निर्माण में गन्ना की अधिक मात्रा का उपयोग कर रहे हैं।

दिलचस्प तथ्य यह है कि ब्राजील की सरकारी एजेंसी- कोनाब ने 2025-26 के मौजूदा मार्केटंग सीजन में देश के अंदर 66.34 करोड़ टन गन्ना की क्रशिंग होने का अनुमान लगाया था।