जुलाई में सामान्य से अधिक वर्षा होने पर कृषि उत्पादन बेहतर होने के आसार
02-Jul-2025 07:46 PM

नई दिल्ली। भारत में चालू माह (जुलाई) के दौरान सामान्य औसत से अधिक वर्षा होने का अनुमान है जिससे खरीफ फसलों की बिजाई एवं प्रगति में अच्छी सहायता मिलेगी और इसके बेहतर उत्पादन के अच्छे आसार बनेंगे। इसके फलस्वरूप राष्ट्रीय अर्थ व्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक के अनुसार जुलाई 2025 के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर मानसून की बारिश सामान्य औसत के सापेक्ष 106 प्रतिशत होने के पक्के आसार हैं यह वर्षा दीर्घकालीन औसत के 106 प्रतिशत से भी अधिक हो सकती है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 1971 से 2020 तक के वर्षा के आंकड़ों के आधार पर जुलाई 2025 के लिए सामान्य औसत बारिश 280.4 मि०मी० आंकी गई है जबकि वास्तविक वर्षा इससे 6-7 प्रतिशत अधिक हो सकती है।
आईएमडी के अनुसार वर्तमान समय में विषुवतीय प्रशांत महासगार में अल नीनो सॉदर्न ऑसिलेशन की स्थिति उदासीन (न्यूट्रल) बनी हुई है।
मानसून मिशन जलवायु पूर्वानुमान प्रणाली तथा अन्य जलवायु मॉडल द्वारा लगाए गए अनुमान से पता चलता है कि यह उदासीन स्थिति सम्पूर्ण मानसून सीजन के दौरान बरकरार रह सकती है जिससे भारत में अच्छी वर्षा में कोई बाधा नहीं पड़ेगी।
भारत में जुलाई को सर्वाधिक वर्षा वाला महीना माना जाता है और खरीफ फसलों की ज्यादा बिजाई भी इसी महीने में होती है। यदि जुलाई में वर्षा एवं बिजाई की हालत अच्छी रहती है तो उत्पादन बढ़ने के ज्यादा चांस होते हैं।
वैसे जुलाई की भांति अगस्त का महीना भी फसलों की बिजाई एवं प्रगति के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण होता है इसलिए अगस्त में भी अच्छी बारिश का होना आवश्यक है। आईएमडी ने संकेत दिया है कि अगस्त में भी अच्छी वर्षा हो सकती है।
धान, दलहन, तिलहन, मोटे अनाज तथा कपास आदि की खेती समूचे देश में जोर-शोर से जारी है। जहां मानसून की सामान्य बारिश हुई है वहां बिजाई की रफ्तार ज्यादा तेज है लेकिन जहां बारिश बहुत कम या बहुत ज्यादा हुई है वहां किसानों को थोड़ी कठिनाई हो रही है।
ज्यादा वर्षा वाले क्षेत्रों में सिर्फ धान की खेती हो सकती है जबकि कम बारिश वाले इलाकों में किसानों को खरीफ फसलों की बिजाई करने में जोखिम का सामना करना पड़ सकता है।