भारत में पाम तेल के आयात की एक स्थायी नीति चाहता है इंडोनेशिया

03-Jul-2025 12:56 PM

नई दिल्ली। दुनिया में पाम तेल के सबसे प्रमुख उत्पादक एवं निर्यातक देश- इंडोनेशिया चाहता है कि भारत में इस महत्वपूर्ण वनस्पति तेल के आयात के सम्बन्ध में कोई निश्चित या स्थायी नीति बने ताकि आयातकों- निर्यातकों को पहले से ही वास्तविक स्थिति की जानकारी मिलती रहे।

भारत स्थित इंडोनेशिया के राजदूत ने कहा है कि दोनों देश विशाल जनसंख्या वाले हैं और दोनों के बाजार भी विशाल है जिसका दोहन (उपयोग) करने की आवश्यकता है। मांग एवं आपूर्ति पक्ष के मुद्दों को ध्यान में रखते हुए दोनों देशों को एक निश्चित एवं स्थायी नीति बनाने की जरूरत है। 

राजदूत के अनुसार दोनों देशों की नीतियों एवं स्टॉक प्रबंधन को जानने समझने के लिए खुलापन होना जरुरी है। यदि नीतियों में स्थिरता या निश्चितता रहेगी तो पाम तेल के कारोबार में किसी तरह की बाधा उत्पन्न नहीं होगी और निर्बाध आयात-निर्यात जारी रहेगा। जलवायु की स्थिति में लगातार बदलाव हो रहा है और आगे भी इसकी समस्या बरकरार रहने की आशंका है।

स्वाभाविक रूप से इस हकीकत को समझना होगा कि प्रत्येक देश अपने हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए उसके अनुरूप नीतियों में बदलाव करता है।

भारत सरकार भी समय-समय पर कुछ खास नीतियां लागू करती रही है और आगे भी नीतियों में बदलाव हो सकता है। इंडोनेशिया में भी इसी तरह का माहौल बना हुआ है।

जब कभी मौसम खराब होता है और उत्पादन घटने की आशंका रहती है तब इंडोनेशिया सरकार पाम तेल के निर्यात से सम्बन्धित नीतियों में बदलाव करने के लिए विवश हो जाती है। 

भारत में क्रूड पाम तेल पर 16.5 प्रतिशत तथा आरबीडी पामोलीन पर 35.75 प्रतिशत का आयात शुल्क लगा हुआ है। उधर इंडोनेशिया भी क्रूड पाम तेल के बजाए रिफाइंड पाम तेल / पामोलीन के निर्यात संवर्धन को प्राथमिकता दे रहा है और इसलिए शुल्क में बदलाव करता रहता है। कुछ वर्ष पूर्व उसने पाम तेल के निर्यात पर अस्थायी रूप से प्रतिबंध भी लगा दिया था।

मई 2025 से इंडोनेशिया में क्रूड पाम तेल (सीपीओ) पर निर्यात शुल्क को 7.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत कर दिया गया। इससे पूर्व अप्रैल 2022 में उसने पाम तेल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था जिसे कुछ महीनों के बाद हटा लिया गया।