मानसून के जल्दी आने से बारिश कम होने की आशंका नहीं

27-May-2025 08:40 PM

नई दिल्ली। आमतौर पर देखा गया है कि जिस वर्ष दक्षिण-पश्चिम मानसून अपने नियत समय से काफी पहले आ जाता है उस वर्ष देश में कुल वर्षा अपेक्षाकृत कम होती है।

वर्ष 2009 में मानसून 23 मई को ही आ गया था और देश में कम वर्षा के कारण सूखे का संकट पैदा हो गया था। इतना ही नहीं बल्कि ग्रीष्मकाल के महीनों में गर्मी की तीव्रता भी बहुत बढ़ गई थी।

चालू वर्ष के दौरान 1 जून की नियत तिथि से 8 दिन पहले ही मानसून 24 मई को केरल में प्रवेश कर गया था जिससे बारिश में कमी आने की आशंका व्यक्त की जाने लगी है।

लेकिन भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक ने कहा है कि मानसून के जल्दी आने से वर्षा कम होने की चिंता करने की जरूरत नहीं है। 

महानिदेशालय के अनुसार 2009 से 2025 की तुलना करना सही नहीं है क्योंकि मानसून की बारिश मौसमी परिस्थितियों पर निर्भर करती हैं।

प्रत्येक वर्ष का मानसून अलग होता है और इसकी अपनी खास विशेषताएं होती हैं। मौसम विभाग ने इस वर्ष मानसून सीजन के दौरान सामान्य औसत से अधिक बारिश होने की भविष्यवाणी की है।

इस बार दीर्घकालीन औसत (एलपीए) से ज्यादा वर्षा होने की उम्मीद है और मानसून के जल्दी आने से इस परिदृश्य में बदलाव नहीं आएगा। 

उल्लेखनीय है कि आईएमडी ने जून से सितम्बर के चार महीनों में सक्रिय रहने वाले दक्षिण-पश्चिम मानसून के सीजन में 5 प्रतिशत के उतार-चढ़ाव के साथ दीर्घ कालीन औसत के सापेक्ष 105 प्रतिशत बारिश होने का अनुमान लगाया है

और वह इस पर कायम है। मौसम विभाग ने यह भी कहा था कि दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन के दौरान अल नीनो सॉदर्न ऑसिलेशन (एनसो) तथा हिन्द महासागर का डायपोल उदासीन या न्यूट्रल बना रहेगा और इसलिए बारिश में कोई बाधा नहीं पड़ेगी। अल नीनो के प्रकोप से अक्सर मानसून प्रभावित हो जाता है। 

वर्ष 2009 में 892.5 मि०मी० के सामान्य औसत स्तर के मुकाबले कुल बारिश केवल 689.9 मि०मी० दर्ज की गई थी। दीर्घ कालीन औसत के 96 से 104 प्रतिशत के बीच होने वाली वर्षा को सामान्य माना जाता है जबकि 104 से 110 प्रतिशत की बारिश सामान्य से अधिक मानी जाती है। इस बार मुम्बई में मानसून 11 जून की नियत तिथि से 16 दिन पहले ही पहुंच गया।