ऑस्ट्रेलिया में अच्छी बारिश होने से चना की फसल को फायदा

17-Jun-2025 01:40 PM

होबार्ट। ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख उत्पादक इलाकों में जून के पहले सप्ताह के अंत में दूर-दूर तक काफी अच्छी बारिश होने से मसूर की फसल को फायदा हुआ और इसकी स्थिति काफी सुधर गई। देश के उत्तरी उत्पादन क्षेत्रों में मौसम की हालत काफी हद तक अनुकूल होने से चना की फसल भी बेहतर स्थिति में है। 

व्यापार विश्लेषकों के अनुसार देश के उत्तरी भाग में चना तथा फाबा बीन्स और विक्टोरिया तथा साउथ ऑस्ट्रेलिया प्रान्त में मसूर की हालत काफी अच्छी हो गई है लेकिन इन दलहनों का बाजार भाव लगभग स्थिर बना हुआ है और कारोबार भी सुस्त देखा जा रहा है।

भारत जैसे प्रमुख आयातक देशों में चना तथा मसूर पर 10-10 प्रतिशत का मूल सीमा शुल्क लागू हो चुका है जबकि अन्य खरीदार देशों में इसकी मांग काफी कमजोर पड़ गई है। फाबा बीन्स का घरेलू कारोबार सामान्य देखा जा रहा है। 

संघीय एजेंसी- अबारेस ने 3 जून को जारी अपनी तिमाही रिपोर्ट में ऑस्ट्रेलिया में 2025-26 सीजन के दौरान 18.80 लाख टन चना के उत्पादन का अनुमान लगाया है जो 2024-25 सीजन के रिकॉर्ड उत्पादन 22.70 लाख टन से करीब 4 लाख टन कम है।

न्यू साउथ वेल्स प्रान्त के उत्तरी भाग तथा क्वींसलैंड प्रान्त के दक्षिणी एवं मध्यवर्ती क्षेत्र में चना की बिजाई समाप्त हो चुकी है जबकि अन्य राज्यों में भी बिजाई की प्रक्रिया अंतिम चरण में पहुंच गई है। सभी क्षेत्रों में इस बार चना की बिजाई के लिए मौसम की हालत काफी हद तक अनुकूल कमी रही। 

वैसे न्यू साउथ वेल्स प्रान्त के बाहरी पश्चिमोत्तर मैदानी भाग में भारी वर्षा होने से खेतों की मिटटी में नमी का अंश बहुत ऊंचा हो गया है जिससे वहां चना की बिजाई संभव नहीं हो पा रही है। कुछ क्षेत्रों में चालू माह के अंत से पहले चना की बिजाई पूरी होना मुश्किल है।

जिन इलाकों में इसकी अगैती एवं सघन खेती हुई है वहां बीज में अंकुरण हो चुका है और पौधों में नए-नए पत्ते लग रहे हैं। कुल मिलाकर फसल की हालत काफी अच्छी है। 

अबारेस की रिपोर्ट के अनुसार 2024-25 सीजन की तुलना में 2025-26 सीजन के दौरान क्वींसलैंड प्रान्त में चना का बिजाई क्षेत्र 4.20 लाख हेक्टेयर से सुधरकर 4.30 लाख हेक्टेयर पर पहुंचने की संभावना है लेकिन इसका उत्पादन 9.50 लाख टन से घटकर 7.90 लाख टन पर सिमटने की आशंका है।

इसी तरह न्यू साउथ वेल्स प्रान्त में चना का क्षेत्रफल 5.80 लाख हेक्टेयर से सुधकर 5.90 लाख हेक्टेयर पर पहुंच सकता है मगर कुल उत्पादन 12.80 लाख टन से घटकर 10.50 लाख टन पर सिमट सकता है। अन्य राज्यों में बिजाई क्षेत्र एवं उत्पादन का आंकड़ा पिछले साल के लगभग बराबर रहने की उम्मीद है।