पंजाब में गेहूं का भंडारण खर्च 100 करोड़ रुपए बढ़ने की आशंका
19-Jun-2025 04:11 PM

चंडीगढ़। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को समूचे पंजाब में स्टील सिलोज में गेहूं के भंडारण पर करीब 100 रुपए प्रति क्विंटल का अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है।
चूंकि राज्य में इन सिलोज की कुल भंडारण क्षमता 9.85 लाख टन की है इसलिए खाद्य निगम का कुल अतिरिक्त भंडारण खर्च करीब 100 करोड़ रुपए बढ़ सकता है। इससे इस पर भारी आर्थिक दबाव पड़ने की संभावना है।
खर्च में होने वाली इस बढ़ोत्तरी का मुख्य कारण यह है कि भारतीय खाद्य निगम ने सिलोज में गेहूं के भंडारण के लिए आढ़तियों (कमीशन एजेंटों) को चुकाए जाने वाले कमीशन (दामी) में कटौती करने का निर्णय लिया है।
इस कमीशन या दामी को 46 रुपए प्रति क्विंटल से आधा घटाकर अब 23 रुपए प्रति क्विंटल निश्चित किया गया है। उल्लेखनीय है कि इस स्टील सिलोज का निर्माण इस तरह किया जाता है कि इसमें भंडारित गेहूं पांच साल तक सुरक्षित रह सकता है।
उसमें निर्यात (वैक्यूम) जैसी स्थिति रखी जाती है। ये सिलोज भारतीय खाद्य निगम के अनाज प्रबंधन की खरीदी का एक महत्वपूर्ण भाग माने जाते हैं।
लेकिन दामी (कमीशन) में 50 प्रतिशत की भारी कटौती का आढ़तियों एवं किसान संगठनों द्वारा जबरदस्त विरोध किया जा रहा है। इससे किसानों को सीधे सिलोज तक गेहूं पहुंचाने में दिलचस्पी घट जाएगी।
पंजाब के खाद्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि मौजूदा परिस्थितियों में अब पहले गेहूं को गन्नी बोरियों में पैक करना पड़ेगा और फिर उसे सिलोज तक पहुंचाना होगा।
गोदामों में गेहूं की गन्नी बोरियों में पैकिंग तथा उसे सिलोज तक पहुंचाने के लिए परिवहन का अतिरिक्त खर्च झेलना पड़ेगा। परिवहन खर्च में 100 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि हो जाएगी।
उधर भारतीय खाद्य निगम ने कमीशन (दामी) में भारी कटौती के निर्णय को न्यायोचित बताते हुए कहा है कि जब गेहूं का स्टॉक एक बार सिलोज में पहुंच जाता है तब उसके रख रखाव एवं प्रबंधन में आढ़तियों की भूमिका घट जाती है।
लेकिन आढ़तियों का तर्क है कि सामान्य मंडियों से गेहूं के स्टॉक का उठाव करके उसे सिलोज में भंडारित करने तक की प्रक्रिया काफी जटिल होती है और इसमें काफी श्रम एवं समय लगता है इसलिए 'दामी' में कटौती नहीं होनी चाहिए।