पंजाब में कपास की फसल पर कीड़ों के भयंकर प्रकोप से किसान चिंतित
01-Aug-2025 01:52 PM

जालंधर। अनेक वर्षों के अंतराल के बाद चालू सीजन के दौरान उत्तरी भारत में कपास की फसल पर ग्रीन लीफ होपर या इंडियन कॉटन जस्सीद (जिसे स्थानीय भाषा में हरा तेला भी कहा जाता है) नामक कीट का प्रकोप दोबारा शुरू हो गया है।
इस बार अप्रत्याशित रूप से इसकी संख्या बहुत ज्यादा देखी जा रही है जिससे अनेक क्षेत्रों में कपास की फसल को भारी नुकसान होने की आशंका है। वहां किसान चिंतित हैं।
कृषि विशेषज्ञों ने हरा तेला कीट की संख्या में अचानक भारी बढ़ोत्तरी के लिए मौसम की अनुकूल परिस्थितियों को कारण माना है। उनका कहना है कि सामान्य औसत से अधिक बारिश होने, नियमित रूप से आद्रता बरकरार रहने,
वर्षा के दिनों में वृद्धि होने तथा आसमान में लगातर बादल छाए रहने से इस कीट की प्रजनन क्षमता बढ़ गई और इसके आघात को रोकना मुश्किल हो रहा है। इसके भयंकर प्रकोप से कपास (रूई) की उपज दर में 30 प्रतिशत तक की गिरावट आने की आशंका है।
पंजाब के मनसा जिले में कपास की फसल पर इस कीट का ज्यादा प्रकोप देखा जा रहा है और वहां रूई की उत्पादकता 20-25 प्रतिशत घटने की संभावना है।
इस जिले के एक गांव के सारे किसान सिर्फ कपास की खेती करते हैं और वहां इस खतरनाक कीट के प्रकोप से एक भी खेत सुरक्षित नहीं बचा है।
अभी तक कृषि विभाग का कोई अधिकारी भी किसानों की सुध लेने तथा कपास की फसल को हुए नुकसान का आंकलन करने के लिए नहीं पहुंचा है। सरकारी अधिकारी फिलहाल इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दे रहे हैं।
हरियाणा के सिरसा जिले में भी कपास की फसल इस विनाशकारी कीट के प्रकोप से बुरी तरह प्रभावित हो रही है। इस जिले के एक गांव में भी सिर्फ कपास की खेती होती है और वहां सभी खेतों में कपास की खड़ी फसल को इस कीट ने अपनी चपेट में ले लिया है।
किसान पहले कपास के पौधों की पत्तियों में आए पीलापन तथा कलिंग (सिकुड़न) को वर्षा से हुई क्षति समझ रहे थे लेकिन जल्दी ही स्पष्ट हो गया कि यह हरा तेल कीट के प्रकोप के कारण हुआ है। इसके फलस्वरूप कीटनाशक रसायनों के छिड़काव में देर हो गई और फसल को नुकसान हो गया।
राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में भी कपास की फसल पर इस कीट के आघात की सूचना मिल रही है और किसानों को इससे फसल को बचाने का कोई तरीका नहीं सूझ रहा है।