दलहनों एवं खाद्य तेलों के विशाल आयात के नियंत्रित करने की जरूरत

17-Jun-2025 03:17 PM

नई दिल्ली। भारत में दलहनों एवं खाद्य तेलों का आयात जिस तेज रफ्तार से बढ़ रहा है उतनी ही तेजी से इसमें आत्मनिर्भरता का लक्ष्य भी दूर होता जा रहा हैं।

अजीब विडम्बना है कि केन्द्र सरकार एक तरफ दलहन-तिलहन फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में नियमित रूप से अच्छी बढ़ोत्तरी कर रही है और दलहन-तिलहन (खाद्य तेल) मिशन के जरिए स्वदेशी उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रही है तो दूसरी ओर विदेशों से इसके विशाल आयात को प्रोत्साहित भी कर रही है। 

तुवर एवं उड़द के शुल्क मुक्त आयात की समय सीमा पहले 31 मार्च 2026 तक बढ़ाई गई और बाद में पीली मटर को भी इस सूची में शामिल कर लिया गया। चना तथा मसूर पर भी 10-10 प्रतिशत का मामूली आयात शुल्क लगाया गया है जिससे निर्यातक देशों को ज्यादा परेशानी नहीं होगी।

इसी तरह हाल ही में क्रूड श्रेणी के पाम तेल, सोयाबीन तेल एवं सूरजमुखी तेल एवं मौलिक आयात शुल्क को 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत निर्धारित किया गया है। भारत में मुख्यतः इन्हीं तीन खाद्य तेलों का सर्वाधिक आयात होता है सीमा शुल्क में कटौती होने से आयात खर्च घट जाएगा। 

घरेलू प्रभाग में स्थिति का अवलोकन करने से ज्ञात होता है कि वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान विदेशों से दलहनों का रिकॉर्ड आयात होने से अब तुवर, उड़द, चना एवं मसूर का घरेलू बाजार भाव अपने शीर्ष स्तर की तुलना में काफी घटकर अब न्यूनतम समर्थन मूल्य के आसपास या उससे नीचे आ गया है।

खरीफ कालीन दलहन फसलों की बिजाई आरंभ हो चुकी है। इस समय बाजार भाव ऊंचा होना चाहिए था जिससे किसानों को बिजाई क्षेत्र बढ़ाने का प्रोत्साहन मिलता है। विदेशों से मूंग का आयात नहीं होता है और पीली मटर के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) निर्धारित नहीं किया जाता है। इसका दाम भी घटकर काफी नीचे आ गया है। 

केन्द्र सरकार ने अगले तीन चार वर्षों में दलहन-तिलहन के उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है लेकिन इसे हासिल करने के लिए उसकी नीतियां अनुकूल नहीं है।

यह सही है कि सरकार को आम उपभोक्ताओं के हितों का भी ध्यान रखना पड़ता है और खाद्य महंगाई को नियंत्रित करने के लिए गंभीर प्रयास करना पड़ता है लेकिन इसके साथ-साथ किसानों एवं क्रशिंग-प्रोसेसिंग उद्योग के हितों की रक्षा का दायित्व भी सरकार के ऊपर ही है।