खरीफ बिजाई में प्रगति

21-Jun-2025 11:24 AM

जून के प्रथम पखवाड़े में निष्क्रिय रहने के बाद दक्षिण-पश्चिम मानसून पूरी तीव्रता एवं सघनता के साथ न केवल सक्रिय हुआ बल्कि भरपूर गतिशीलता के साथ आगे बढ़ते हुए गुजरात, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड एवं लद्दाख तक पहुंच गया। इसकी उत्तरी सीमा अब जयपुर, आगरा, रामपुर, देहरादून, शिमला तथा मनाली तक देखी जा रही है।

मौसम विभाग  ने संकेत दिया है कि रविवार या 22 जून तक यह मानसून राजस्थान, जम्मू कश्मीर, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, लद्दाख तथा हिमाचल प्रदेश को पूरी तरह कवर कर लेगा और 24 जून तक पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ एवं दिल्ली में प्रवेश कर जाएगा।

दक्षिण भारत, पश्चिमी राज्यों एवं मध्यवर्ती क्षेत्र में मूसलाधार बारिश होने से खेतों की मिटटी में नमी का अंश बढ़ गया है और खरीफ फसलों की बिजाई में किसानों की व्यस्तता बढ़ गई है। 

कम से कम 10 जुलाई तक मानसून की सक्रियता बरकरार रहने की संभावना है और इस अवधि के दौरान देश के पूर्वी एवं पूर्वोत्तर राज्यों, पश्चिमी एवं पश्चिमोत्तर प्रांतों तथा कुछ अन्य इलाकों में सामान्य औसत से अधिक बारिश होने की उम्मीद है।

इससे किसानों को खासकर धान, मक्का, कपास एवं दलहन- तिलहन फसलों की खेती की गति बढ़ाने का अच्छा अवसर मिलेगा। खरीफ फसलों की बिजाई पहले ही आरंभ हो चुकी है लेकिन जून के शुरुआती दो सप्ताहों तक मानसून के गतिहीन रहने से इसकी रफ्तार कुछ धीमी पड़ गई थी जिसके अब पुनः तेज होने की उम्मीद है।

किसानों में इस बार दलहनों और खासकर अरहर (तुवर) एवं उड़द की बिजाई के प्रति उत्साह एवं आकर्षण बढ़ने के आसार हैं क्योंकि इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) काफी ऊंचे स्तर पर नियत किया गया है।

तुवर का एमएसपी 7550 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 8000 रुपए प्रति क्विंटल तथा उड़द का समर्थन मूल्य 7400 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 7800 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है।

इसके अलावा सोयाबीन एवं मूंगफली सहित अन्य तिलहनों के एमएसपी में भी भारी इजाफा किया गया है जिससे किसानों को इसका उत्पादन क्षेत्र बढ़ाने का अच्छा प्रोत्साहन मिलेगा।

किसानों को अब मानसून की भरपूर बारिश का भी सहारा प्राप्त होगा और फसलों का चयन करने में आसानी होगी। जुलाई-अगस्त के दौरान देश में सर्वाधिक वर्षा और खरीफ फसलों की सबसे ज्यादा बिजाई होती है।

जून के दूसरे पखवाड़े से लेकर जुलाई के पहले पखवाड़े तक यदि अच्छी वर्षा का सिलसिला जारी रहा तो खरीफ फसलों की बिजाई तेजी से बढ़ेगी और इसकी प्रगति में भी सहायता मिलेगी।

झारखंड एवं दक्षिणी बिहार के ऊपर कम दाब का क्षेत्र बना हुआ है जबकि अगला कम दाब का क्षेत्र उड़ीसा एवं पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती क्षेत्र के ऊपर निर्मित होने वाला है।