रूई पर से आयात शुल्क हटने से वस्त्र उद्योग को अस्थायी राहत

20-Aug-2025 11:53 AM

मुम्बई। केन्द्र सरकार ने रूई के आयात पर लगे 11 प्रतिशत के सीमा शुल्क को समाप्त कर दिया है। यह निर्णय 19 अगस्त से लागू हो चुका है और मौजूदा मार्केटिंग सीजन के अंत यानी 30 सितम्बर 2025 तक प्रभावी रहेगा।

सीमा शुल्क समाप्ति की समयावधि छोटी है इसलिए कॉटन टैक्सटाइल उद्योग को अस्थायी राहत ही मिल सकेगी। इसके बावजूद इस अवधि में 10-12 लाख गांठ तक रूई का अतिरिक्त आयात होने का अनुमान लगाया जा रहा है।

1 अक्टूबर 2025 से कपास का नया मार्केटिंग सीजन आरंभ हो जाएगा और तब रूई के नए घरेलू माल की आवक जोर पकड़ने लगेगी। 

उल्लेखनीय है कि अभी अंतर्राष्ट्रीय बाजार में रूई का भाव नरम चल रहा है और इसलिए सीमा शुल्क के हटने से आयातकों को इसका आयात बढ़ाने का अच्छा प्रोत्साहन मिलेगा।

एक अग्रणी व्यापारिक संगठन- कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने सरकार के इस निर्णय का स्वागत करते हुए आयात के तौर-तरीकों के बारे में स्थिति को जल्दी से जल्दी स्पष्ट करने का आग्रह किया है।

समझा जाता है कि भारतीय कॉटन उत्पादों के एक प्रमुख खरीदार देश- अमरीका में 25 प्रतिशत का आयात शुल्क 7 अगस्त से लागू होने के कारण वहां भारतीय निर्यातकों को अपनी पोजीशन बरकरार रखने में कठिनाई होने लगी है।

इतना ही नहीं बल्कि अमरीका में भारतीय उत्पादों पर 27 अगस्त से 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की गई है जिससे कुल आयात शुल्क बढ़कर 50 प्रतिशत पर पहुंच जाएगा।

अमरीका में चीन, बांग्ला देश, पाकिस्तान एवं वियतनाम जैसे देशों को वस्त्र उत्पादों का निर्यात बढ़ाने का अच्छा अवसर मिल जाएगा क्योंकि उस पर काफी कम शुल्क लगेगा। भारत को उसकी प्रतिस्पर्धा का सामना करने के लिए अपने उत्पादों का दाम घटाना पड़ेगा और यह तभी संभव है जब उत्पादों के लागत खर्च में कमी आए।

विदेशों से सस्ती रूई का आयात इस दिशा में मददगार साबित हो सकता है। ब्राजील में नई रूई की आवक शुरू हो गई है और वहां से भारत में इसका भारी आयात होने की संभावना है।

भारत में चालू मार्केटिंग सीजन के दौरान जुलाई के अंत तक करीब 33 लाख गांठ (170 किलो की प्रत्येक गांठ) रूई का आयात हो चुका है जबकि 30 सितम्बर तक कम से कम 10 लाख गांठ रूई का अतिरिक्त आयात होने का अनुमान लगाया जा रहा है।