साप्ताहिक समीक्षा- सरसों
27-Sep-2025 08:07 PM

मिलर्स की लिवाली कम होने से सरसों की कीमत में 50-100 रुपए की गिरावट
नई दिल्ली। ऊंचे मूसलाधार पर क्रशर्स- प्रोसेसर्स की मांग कुछ कमजोर पड़ने तथा राजस्थान एवं मध्य प्रदेश की मंडियों में आवक सामान्य होने से 20-26 सितम्बर वाले सप्ताह के दौरान सरसों की कीमतों में 50-100 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट आ गई।
42% कंडीशन सरसों
42 प्रतिशत कंडीशन वाली सरसों का भाव दिल्ली में 50 रुपए गिरकर 7050 रुपए प्रति क्विंटल तथा जयपुर में 25 रुपए फिसलकर 7275 रुपए प्रति क्विंटल रह गया।
बिजाई
रबी सीजन की सबसे प्रमुख तिलहन फसल- सरसों की बिजाई का समय अत्यन्त निकट आ गया है। पिछले साल भाव नरम रहने से इसके क्षेत्रफल में कुछ गिरावट आ गई थी लेकिन इस बार दाम काफी ऊंचा होने से रकबे में बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है।
भाव
इस सामान्य नरमी के बावजूद सरसों का भाव सभी प्रमुख मंडियों में 5950 रुपए प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से ऊपर चल रहा है जबकि अगली फसल के लिए एमएसपी की घोषणा होना अभी बाकी है। समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान की लगभग सभी प्रमुख मंडियों में सरसों का भाव नरम रहा। इसके तहत बरवाला, हिसार, ग्वालियर, कोटा तथा बीकानेर में सरसों का भाव 100-100 रुपए प्रति क्विंटल नीचे आ गया जबकि अन्य मंडियों में 25 से 75 रुपए प्रति क्विंटल तक की गिरावट देखी गई।
सरसों तेल
इसकी फलस्वरूप सरसों तेल के दाम में भी 1 से 3 रुपए प्रति किलो तक का मंदा रहा। दिल्ली में एक्सपेलर का दाम 25 रुपए घटकर 1490 रुपए प्रति 10 किलो, मुरैना में 30 रुपए घटकर 1490 रुपए तथा अलवर में 30 रुपए घटकर 1480 रुपए प्रति 10 किलो पर आ गया।
कच्ची घानी तेल
इसी तरह कच्ची घानी सरसों तेल की कीमतों में भी 10-20 रुपए प्रति 10 किलो की गिरावट दर्ज की गई। मुरैना में यह 30 रुपए घटकर 1500 रुपए, जयपुर में 25 रुपए गिरकर 1495 रुपए तथा कोटा में 20 रुपए गिरकर 1560 रुपए प्रति 10 किलो रह गया। लेकिन भरतपुर में कच्ची घानी तेल 10 रुपए के सुधार के साथ 1540 रुपए प्रति 10 किलो पर पहुंच गया।
सरसों खल (डीओसी)
सरसों का भाव नरम पड़ने तथा कारोबार कमजोर होने से सरसों खल की कीमतों में 70 रुपए प्रति क्विंटल तक की गिरावट दर्ज की गई। दिल्ली में यह घटकर 3051 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गया। इसके अलावा चरखी दादरी, मुरैना, जयपुर, भरतपुर एवं अलवर में भी सरसों खल की मांग कमजोर रही।