सीसीआई द्वारा अब तक 56 लाख गांठ से अधिक रूई की बिक्री

08-Jul-2025 04:39 PM

मुम्बई। केन्द्रीय कपड़ा मंत्रालय की अधीनस्थ एजेंसी- भारतीय कपास निगम (सीसीआई) द्वारा 2024-25 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) के दौरान प्रमुख आयातक राज्यों में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर लगभग 100 लाख गांठ कपास (रूई) की खरीद की गई थी जिसमें से अब तक निगम को आधे से अधिक यानी 56 लाख गांठ की बिक्री करने में सफलता प्राप्त हो चुकी है।

रूई की प्रत्येक गांठ 170 किलो की होती है। दिलचस्प तथ्य यह है कि चालू सीजन के दौरान कपास के घरेलू उत्पादन में काफी गिरावट आ गई थी लेकिन फिर भी इसका थोक मंडी भाव एमएसपी से नीचे रहा इसलिए सरकारी एजेंसी को विशाल मात्रा में किसानों से इसकी खरीद करनी पड़ी। 

न्यूनतम समर्थन मूल्य का स्तर ऊंचा रहने से भारतीय कपास अपेक्षाकृत महंगी हो गई जबकि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भाव नीचे चल रहा था। इसके फलस्वरूप विदेशों से रूई मंगाने में भारतीय कपड़ा मिलों की दिलचस्पी काफी बढ़ गई और रूई के आयात में 131 प्रतिशत से अधिक का जोरदार इजाफा हो गया।

प्राइवेट मिलर्स फिलहाल दूर बैठे हुए हैं इसलिए सीसीआई के स्टॉक पर टेक्सटाइल  निर्भरता काफी बढ़ गई है। समझा जाता है की जब जिनर्स के स्टॉक की बिक्री आरंभ होगी तब सरकारी रूई का कारोबार कुछ धीमा पड़ सकता है। 

उद्योग समीक्षकों के अनुसार देश में उत्पादित कपास के लगभग एक-तिहाई भाग की खरीद अकेले सरकारी एजेंसी द्वारा की गई लेकिन इसे अपने स्टॉक को बेचने में भी कोई खास दिक्कत नहीं हो रही है। रूई का भाव सुधरने लगा है।

मंडियों में इसकी आवक कम हो रही है जबकि टेक्सटाइल उद्योग की मांग मजबूत बनी हुई है। विदेशों से रूई के आयात पर 11 प्रतिशत का सीमा शुल्क लागू है। जुलाई के प्रथम सप्ताह तक निगम द्वारा 56.34 लाख गांठ रूई की बिक्री की गई।

अब भी उसके पास लगभग 43 लाख गांठ रूई का स्टॉक मौजूद है। पिछले सीजन का जो स्टॉक उपलब्ध था उसके अधिकांश भाग की बिक्री पहले ही हो चुकी है।

कपास की जोरदार बिजाई अभी जारी है और उत्तरी राज्यों में सितम्बर से तथा अन्य प्रांतों में अक्टूबर से इसके नए माल की आवक शुरू हो जाएगी। 

सरकार ने 2025-26 के मार्केटिंग सीजन हेतु कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य 589 रुपए बढ़ाकर मीडियम रेशेवाली श्रेणी के लिए 7710 रुपए प्रति क्विंटल तथा लम्बे रेशेवाली किस्मों के लिए 8110 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है। कपास का क्षेत्रफल गत वर्ष से कुछ आगे चल रहा है।