तुवर की बुवाई कमजोर, समय से मानसून आने के बावजूद किसानों ने बदला रुख
08-Jul-2025 11:03 AM

तुवर की बुवाई कमजोर, समय से मानसून आने के बावजूद किसानों ने बदला रुख
★ प्रमुख राज्यों में बुवाई 11% घटी। अंतिम बुवाई आंकड़े अगले 15-20 दिनों में होंगे स्पष्ट।
★ समय पर और अच्छी शुरुआत के साथ आया मानसून भी इस वर्ष तुवर की बुवाई को रफ्तार नहीं दे सका। अब तक देशभर में तुवर की बुवाई 16.47 लाख हेक्टेयर दर्ज की गई है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के 18.52 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 2.05 लाख हेक्टेयर कम (लगभग 11% गिरावट) है।
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राज्यवार स्थिति (2025 बनाम 2024): स्रोत विभिन्न राज्यों के कृषि विभाग
★ कर्नाटक: 2025- 9.88 लाख हे. बनाम 2024 -12.5 लाख हे., गिरावट: 2.62 लाख हे. (05.07.25 तक)
★ महाराष्ट्र: 2025- 6.58 बनाम 2024- 6.67 लाख हे. गिरावट: 0.09 लाख हे. (30.06.25 तक)
★ गुजरात, आंध्र प्रदेश में भी गिरावट, केवल तेलंगाना में बुवाई में वृद्धि।
★ तुवर की कीमतें पिछले सीजन में बेहद कमजोर रहीं, जिससे किसानों का रुझान घटा।
★ एक लंबी अवधि की फसल होना भी अन्य कारण रहा। कम समय में मुनाफा देने वाली मक्का व अन्य लघु अवधि वाली फसलों की ओर हुआ झुकाव।
महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमावर्ती क्षेत्रों में अब भी मिट्टी में नमी की कमी है। बारिश की सख्त जरूरत है, नहीं तो बुवाई में और गिरावट संभव है।
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क्या सीजन 2022 और 2023 वाला दोहरेगा इतिहास? (भारत में नया सीजन 1 जुलाई से शुरू होता है)
★ पिछले साल तुवर का उत्पादन और आयात दोनों अच्छे स्तर पर थे, जिससे बाजार में कीमतें दबाव में रहीं।
★ लेकिन 2022 और 2023 में जब उत्पादन कमजोर रहा था, तब तुअर के भाव रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुँचे थे।
★ इतिहास दोहराने के सवाल का जवाब अगले 15-20 दिनों में साफ हो जाएगा, जब बुवाई के अंतिम आंकड़े सामने आएंगे।
★ देश में घरेलू उपज के बिना कीमतों को नियंत्रित करना काफी मुश्किल हो सकता है।
★ तुवर की बुवाई का यह सीजन आने वाले महीनों के दाम और आपूर्ति को तय करेगा।