हरियाणा में ढैंचा की खेती पर सब्सिडी के 47 प्रतिशत दावे खारिज

03-Jul-2025 04:25 PM

हिसार। हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने खुलासा किया है कि ढैंचा की खेती के लिए  सब्सिडी प्राप्त करने हेतु किसानों ने जितने दावे किए हैं उसमें से 47 प्रतिशत दावों को निरस्त कर दिया गया है क्योंकि भौतिक सत्यापन के दौरान वे सभी दावे झूठे पाए गए।

दरअसल हरियाणा में कुल 26,942 एकड़ जमीन में ढैंचा की खेती का दावा किसानों द्वारा किया गया था मगर जब खेतों पर जाकर इसका निरीक्षण-परीक्षण किया गया तब पता चला कि इसमें से 12,788 एकड़ भूमि में ढैंचा की खेती ही नहीं हुई। 

कृषि विभाग के मुताबिक ढैंचा की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए हरियाणा सरकार ने किसानों को 2000 रुपए प्रति एकड़ की दर से वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाने की घोषणा की थी। आमतौर पर इसकी फसल दो माह में तैयार हो जाती है।

यह फसल मिटटी की उर्वरा शक्ति बढ़ाती है और रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता को घटाती है। आंकड़ों से पता चलता है कि अनेक किसानों ने ढैंचा की खेती किए बगैर ही वित्तीय प्रोत्साहन (सब्सिडी) की स्कीम का लाभ उठाने का प्रयास किया।  

हरियाणा सरकार ने इस वर्ष पूरे राज्य में 28,171 एकड़ जमीन में ढैंचा की खेती का लक्ष्य रखा था  और इसके सापेक्ष किसानों ने 26,942 एकड़ में बिजाई करने का दावा किया।

लेकिन जब इन दावों का भौतिक सत्यापन किया गया तब पता चला कि केवल 14,184 एकड़ भूमि में ही वास्तविक रूप से इसकी खेती हुई है। ऐसे किसानों के दावे को स्वीकार कर लिया गया जबकि शेष 12,788 एकड़ के लिए दावे को नामंजूर कर दिया गया क्योंकि उसमें ढैंचा की खेती हुई ही नहीं थी। 

सबसे अधिक झूठे दावे मेवात जिले में 2537 दर्ज किए गए। इसके बाद सोनीपत में 2208 तथा जींद में 1510 झूठे दावे सामने आए। कृषि विभाग ने खेतों पर निरीक्षण-परीक्षण तथा उपग्रह निगरानी तंत्र के माध्यम से 26,942 एकड़ का भौतिक सत्यापन करवाया।

सरकार ने कुल 1550 गांवों में इसकी खेती का लक्ष्य रखा था मगर वास्तविक खेती का दावा 1457 गांवों के किसानों ने किया। भौतिक सत्यापन के लिए 1181 कार्मिकों की सहायता ली गई।

ढैंचा को एक हरित खाद्य वाली फसल माना जाता है। सरकार ने इस वर्ष किसानों को 80 प्रतिशत के रियायती मूल्य पर इसका बीज उपलब्ध करवाया था। लेकिन किसानों ने सही ढंग से इसका उपयोग नहीं किया।