केन्द्रीय पूल में चावल का स्टॉक दो दशक के शीर्ष स्तर पर पहुंचा
03-Jul-2025 05:07 PM

नई दिल्ली। केन्द्रीय पूल में चावल का स्टॉक बढ़कर 374.80 लाख टन पर पहुंच गया है जो इस अवधि के लिए पिछले 20 वर्षों में सबसे ज्यादा तथा न्यूनतम आवश्यक बफर मात्रा की तुलना में करीब तीन गुणा अधिक है।
मूल्य समर्थन योजना के अंतर्गत धान की खरीद बढ़ने तथा खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत चावल का उठाव कमजोर रहने से केन्द्रीय पूल में स्टॉक बढ़ा है।
खाद्य सब्सिडी में भारी बढ़ोत्तरी होना सरकार के लिए चिंता का विषय है जबकि चावल का बढ़ता स्टॉक आगामी समय में सुरक्षित भंडारण के लिए गंभीर संकट पैदा कर सकता है।
केन्द्रीय पूल में 1 जून को 379.90 लाख टन चावल का विशाल स्टॉक मौजूद था जो 1 जुलाई को 5.10 लाख टन गिरकर 374.80 लाख टन रह गया।
इसमें 198.90 लाख टन धान की वह मात्रा शामिल नहीं है जिसकी प्रोसेसिंग से खाद्य निगम को चावल प्राप्त होना है। मान्य नियम के अनुसार 1 जुलाई को केन्द्रीय पूल में कम से कम 135.40 लाख टन चावल का स्टॉक होना आवश्यक है।
2024-25 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) के दौरान चावल की कुल सरकारी खरीद बढ़कर 531.10 लाख टन से ऊपर पहुंच गई जो पिछले सीजन की समान अवधि की खरीद 525.40 लाख टन से अधिक रही।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना तथा अन्य कल्याणकारी कार्यक्रमों के तहत करीब 410 लाख टन चावल की वार्षिक आपूर्ति की जरूरत पड़ती है।
वरिष्ठ आधिकारिक सूत्रों के अनुसार पिछले चार सीजन के दौरान औसतन 550 लाख टन से ज्यादा चावल की सालाना खरीद होती रही जबकि खपत इससे कम हुई।
इसके फलस्वरूप केन्द्रीय पूल में प्रति वर्ष करीब 100-120 लाख टन चावल का अधिशेष स्टॉक जुड़ता रहा और अब वह अत्यन्त ऊंचे स्तर पर पहुंच गया।
चावल के स्टॉक में कमी नहीं आ रही है लेकिन इसके भंडारण एवं रख रखाव का खर्च बढ़ता जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप खाद्य सब्सिडी व्यय में भारी इजाफा हो सकता है।
इसके अलावा सरकारी एजेंसियों को चावल के सुरक्षित भंडारण के लिए भी कठिन संघर्ष करना पड़ सकता है क्योंकि महज तीन माह के बाद नए धान की आवक एवं सरकारी खरीद आरंभ हो जाएगी।