मजदूरों की कमी से हरियाणा में धान की रोपाई प्रभावित
23-Jul-2025 12:41 PM

करनाल। हरियाणा में प्रवासी मजदूरों का अभाव होने से धान की रोपाई में बाधा पड़ रही है और इसकी रफ्तार धीमी है। इस समय तक समूचे राज्य में धान की रोपाई समाप्त हो जानी चाहिए थी मगर नियत लक्ष्य के सापेक्ष महज 80 प्रतिशत क्षेत्र में ही खेती संभव हो पाई है। अनेक किसानों को धान की रोपाई के लिए अब भी मजदूरों की तलाश है।
हरियाणा में धान का तीन वर्षीय औसत क्षेत्रफल इस बार 16.67 लाख हेक्टेयर आंका गया है जबकि राज्य कृषि विभाग ने चालू वर्ष के लिए केवल 13.97 लाख हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया है। लेकिन श्रमिकों की भारी कमी के कारण धान का कुल उत्पादन क्षेत्र इस नियत लक्ष्य के 80 प्रतिशत भाग तक ही पहुंच सका है।
ध्यान देने की बात है कि हरियाणा में कृषि कार्य काफी हद तक प्रवासी मजदूरों पर निर्भर रहता है। बिहार एवं उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों से श्रमिक वहां पहुंचते हैं।
धान तथा गेहूं की रोपाई- बोआई एवं कटाई-तैयारी के समय विशाल संख्या में प्रवासी मजदूरों के आने से हरियाणा के किसानों को काफी राहत मिलती है। मोटे अनुमान के अनुसार हरियाणा में कुल खेतिहर मजदूरों में प्रवासी श्रमिकों की भागीदारी 70 प्रतिशत के आसपास रहती है।
हरियाणा में इस वर्ष 15 जून से धान की खेती आरंभ हुई। आमतौर पर एक माह के अंदर रोपाई की प्रक्रिया पूरी हो जाती है मगर इस बार जुलाई के तीसरे सप्ताह तक कम से कम 20 प्रतिशत क्षेत्र में रोपाई होनी बाकी है।
किसानों के अनुसार इस बार पंजाब में नियत समय से पहले ही धान की रोपाई आरंभ हो गई। हरियाणा की भांति पंजाब में भी पहले मध्य जून से धान की रोपाई शुरू होती थी मगर इस बार 1 जून से ही आरंभ हो गई इसलिए प्रवासी श्रमिक वहां पहले पहुंच गए। वैसे भी इस बार बिहार से काफी कम संख्या में मजदूर पंजाब-हरियाणा पहुंचे हैं।