उड़ीसा में खाद्य निगम द्वारा चावल का उठाव रोकने से सरकार चिंतित

25-Aug-2025 06:07 PM

भुवनेश्वर। उड़ीसा में 23 लाख टन से अधिक कस्टम मिल्ड चावल का अधिशेष स्टॉक मौजूद है जबकि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा मिलर्स से अपने कोटे का उठाव नहीं किया जा रहा है। इससे सरकार की चिंता एवं दुविधा बढ़ गई है।

दरअसल खाद्य निगम को चावल के सुरक्षित भंडारण में भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। गोदामों-वेयर हाउसों में जगह का अभाव है और बिहार, झारखंड तथा पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में उड़ीसा के सेला चावल की मांग काफी कमजोर पड़ गई है।

इसके फलस्वरूप खाद्य निगम ने 30 जुलाई से कस्टम मिल्ड चावल (सीएमआर) का उठाव करना बंद कर दिया। निगम ने 30 जुलाई तक ही चावल के उठाव की अंतिम तिथि निर्धारित की थी। 

उड़ीसा सरकार ने केन्द्रीय खाद्य मंत्रालय को एक पत्र भेजा है जिसमें खाद्य निगम को जल्दी से जल्दी चावल के उठाव की समय सीमा बढ़ाने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है।

पत्र में कहा गया है कि राज्य में सरकारी वेयर हाउस तथा राइस मिलर्स के गोदाम भरे हुए हैं और चावल की निकासी जरुरी है। खाद्य निगम चावल के उठाव की समय सीमा बढ़ाने के लिए  खाद्य मंत्रालय के दिशा निर्देश का इंतजार कर रहा है। 

भारतीय खाद्य निगम एवं उड़ीसा सरकार के बीच 2024-25 के खरीफ मार्केटिंग सीजन के लिए जो करार हुआ है उसके अंतर्गत केन्द्रीय पूल के लिए राज्य के मिलर्स से 50 लाख टन सीएमआर (कस्टम मिल्ड राइस) का उठाव किया जाना है।

खरीफ और रबी सीजन को मिलाकर उड़ीसा में सरकारी एजेंसियों द्वारा किसानों से 93 लाख टन धान खरीदा गया था जो 62.54 लाख टन चावल के समतुल्य है।

विभिन्न खाद्य सुरक्षा एवं पूरक पोषक स्कीम के अंतर्गत वितरण के लिए उड़ीसा को 24 लाख टन चावल की जोरदार जरुरत पड़ती है। खाद्य निगम को 26 लाख टन चावल का उठाव करना था मगर 31 जुलाई तक उसने केवल 15.18 लाख टन का ही उठाव किया।

इस तरह उसे 11.36 लाख टन चावल का और उठाव करना है। मिलर्स द्वारा राज्य सरकार को 16.45 लाख टन चावल की आपूर्ति की जा चुकी है।