चीनी का वैश्विक बाजार भाव निश्चित सीमा में स्थिर रहने की संभावना
मुम्बई। चीनी के वैश्विक बाजार मूल्य पर ब्राजील के उत्पादन, स्टॉक तथा निर्यात का सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है जहां गन्ना की जोरदार क्रशिंग अभी जारी है। महत्वपूर्ण बात यह है कि ब्राजील के मिलर्स फिलहाल एथनॉल के बजाए चीनी के निर्माण में गन्ना की अधिक मात्रा का उपयोग कर रहे हैं। भारत और थाईलैंड में अगले एक-दो महीनों में गन्ना की क्रशिंग एवं चीनी के उत्पादन का अभियान आरंभ हो जाएगा। ज्ञात हो कि चीनी के उत्पादन में भारत तथा निर्यात में थाईलैंड दुनिया में दूसरे नम्बर पर रहता है। एक अग्रणी व्यापार विश्लेषक के अनुसार निकट भविष्य में चीनी का अधिशेष स्टॉक मौजूद रहना मुश्किल लगता है। ब्राजील में गन्ना क्रशिंग का सीजन आधा बीत चुका है और वहां फसल की हालत के बारे में अलग-अलग संकेत (अनुमान) सामने आ रहे हैं। चालू वर्ष की चौथी या अंतिम तिमाही से एशियाई देशों में नई चीनी का आना शुरू हो जाएगा। इसे देखते हुए लगता है कि अगले कुछ महीनों तक चीनी के वैश्विक बाजार मूल्य में भारी उतार-चढ़ाव नहीं आएगा और इसकी कीमत एक निश्चित सीमा में लगभग स्थिर रह सकती है। एक अन्य समीक्षक का कहना है की एशियाई देशों में इस बार चीनी का बेहतर उत्पादन होने की उम्मीद है इसलिए इसके वैश्विक उत्पादन तथा उपयोग के आंकड़ों में काफी हद तक संतुलन बना रह सकता है। न्यूयार्क तथा लन्दन एक्सचेंज में निवेशकों के पास भारी संख्या में शॉर्ट पोजीशन के लिए चीनी का स्टॉक है जिसे बेचने का प्रयास किया जा सकता है। जब तक यह शॉर्ट पोजीशन बरकरार रहेगा तब तक चीनी की कीमतों पर दबाव जारी रह सकता है। प्रमुख आयातक देशों की मांग पर सबका ध्यान केन्द्रित है क्योंकि उसके आधार पर ही चीनी की कीमतों में आगे तेजी-मंदी का रूख निर्भर करेगा।