मक्का की खेती पर किसानों का विशेष जोर होने से सोयाबीन एवं कपास का रकबा घटा
25-Jul-2025 04:59 PM

नई दिल्ली। भारतीय किसानों द्वारा चालू खरीफ सीजन के दौरान मक्का की खेती पर विशेष जोर दिए जाने के कारण सोयाबीन तथा कपास का रकबा घट गया है। सोयाबीन और कपास का भाव घटकर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे आने के कारण किसानों को आकर्षक आमदनी प्राप्त नहीं हुई और इसलिए इसकी खेती में उसकी दिलचस्पी घट गई। दूसरी और मक्का का भाव ऊंचे स्तर पर बरकरार रहा।
खरीफ फसलों की बिजाई का दौर अंतिम चरण की ओर बढ़ रहा है। राष्ट्रीय स्तर पर 21 जुलाई तक इसका कुल उत्पादन क्षेत्र बढ़कर 708.31 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया जो पिछले साल की समान अवधि के बिजाई क्षेत्र 680.38 लाख हेक्टेयर से करीब 28 लाख हेक्टेयर अधिक था।
इसके तहत मक्का का उत्पादन क्षेत्र 61.73 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 71.21 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा लेकिन सोयाबीन का बिजाई क्षेत्र 118.96 लाख हेक्टेयर से घटकर 111.67 लाख हेक्टेयर और कपास का क्षेत्रफल 102.05 लाख हेक्टेयर से गिरकर 98.55 लाख हेक्टेयर रह गया।
हालांकि सरकारी एजेंसियों द्वारा किसानों से एमएसपी पर 2024-25 के खरीफ मार्केटिंग सीजन में विशाल मात्रा में सोयाबीन तथा कपास (रूई) की खरीद की गई लेकिन फिर भी इसकी खेती के प्रति किसानों के उत्साह एवं आकर्षण में कमी देखी जा रही है क्योंकि सरकारी खरीद के बाद जो शेष स्टॉक बच गया उसकी बिक्री एमएसपी से काफी कम दाम पर करने के लिए उत्पादकों को विवश होना पड़ा।
दिलचस्प तथ्य यह है कि 2025-26 सीजन के लिए कपास के एमएसपी में 589 रुपए प्रति क्विंटल तथा सोयाबीन के एमएसपी में 436 रुपए प्रति क्विंटल की भारी बढ़ोत्तरी की गई है जबकि मक्का का समर्थन मूल्य 175 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाया गया है। उद्योग-व्यापार संगठनों द्वारा सोयाबीन के क्षेत्रफल में आ रही गिरावट पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई है।