नए करार के बाद ब्रिटेन में भारतीय हल्दी का निर्यात तेजी से बढ़ने के आसार
26-Jul-2025 01:58 PM

मुम्बई। भारत और ब्रिटेन (इंग्लैंड) के बीच हुए द्विपक्षीय शुल्क व्यापार संधि (एफटीए) से भारतीय हल्दी के लिए ब्रिटेन का बाजार पूरी तरह खुल जाएगा और वहां रहने वाले भारतीयों में इसकी मजबूत मांग बन सकती है। हालांकि भारत दुनिया में हल्दी का सबसे प्रमुख उत्पादक एवं निर्यातक देश है मगर ब्रिटेन भारतीय हल्दी के 5 शीर्ष आयातकों में शामिल नहीं है। वहां निर्यात बढ़ाने की विशाल गुंजाइश है।
हाल ही में गठित टर्मरिक बोर्ड के चेयरमैन का कहना है कि प्रधानमंत्री ने बोर्ड के लिए 2030 तक हल्दी का निर्यात बढ़ाकर 5000 करोड़ रुपए तक पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया है और इस एफटीए से नियत लक्ष्य को हासिल करने में अच्छी सहायता मिलेगी।
हल्दी के उत्पादन एवं निर्यात में भारत का लम्बे समय से वर्चस्व बना हुआ है। विश्व स्तर पर लगभग 13 लाख टन हल्दी का औसत वार्षिक उत्पादन होता है। जिसमें अकेले भारत का योगदान 80 प्रतिशत रहता है। दूसरे स्थान पर चीन है जो करीब 8 प्रतिशत हल्दी का उत्पादन करता है।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-मार्च) के दौरान भारत से करीब 1.37 लाख टन हल्दी का निर्यात हुआ जिसमें बांग्ला देश को 26,285 टन, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को 22,062 टन, मलेशिया को 6419 टन तथा अमरीका को 6689 टन का शिपमेंट शामिल था। शेष निर्यात अन्य देशों को किया गया। घरेलू बाजार में हल्दी के दाम में काफी उतार-चढ़ाव बना रहता है।
ब्रिटेन में भारतीय हल्दी के शुल्क मुक्त निर्यात का द्वार खुल गया है जिससे भारत के उत्पादकों एवं निर्यातकों के लिए बेहतर अवसर पैदा होने के आसार हैं। भारतीय निर्यातक अब घरेलू उत्पादकों से अधिक मात्रा में इसकी खरीद करेंगे जिससे बाजार में मांग एवं कीमत सुधर सकती है। इससे किसानों को हल्दी का उत्पादन बढ़ाने का प्रोत्साहन भी मिलेगा।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 2024-25 के सीजन में देश के अंदर करीब 11.16 लाख टन हल्दी का उत्पादन हुआ। इसके प्रमुख उत्पादक राज्यों में आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक एवं उड़ीसा आदि शामिल है।
2024-25 सीजन के दौरान तमिलनाडु में 1.45 लाख टन, तेलंगाना में 1.33 लाख टन तथा कर्नाटक में 1.07 लाख टन हल्दी का उत्पादन आंका गया। आंध्र प्रदेश एवं महाराष्ट्र में देश की लगभग एक-चौथाई हल्दी का उत्पादन होता है।
बेहतर आमदनी की उम्मीद से किसानों ने हल्दी का स्टॉक पकड़ रखा है जबकि व्यापारी अब निर्यात मांग पर गहरी नजर रख रहे हैं जबकि खरीदार फिलहाल तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने लायक मात्रा में ही हल्दी की खरीद कर रहे हैं।
व्यापार विश्लेषकों के मुताबिक फरवरी से अप्रैल 2026 के दौरान जब नई फसल की कटाई-तैयारी होगी तब तक हल्दी का भाव 11900-12300 रुपए प्रति क्विंटल के बीच रह सकता है।