देशी-विदेशी खरीदारों की मजबूत मांग से बासमती चावल का कारोबार बेहतर

10-May-2025 01:49 PM

नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच जारी युद्ध को देखते हुए देशी-विदेशी खरीदारों द्वारा भारतीय बासमती चावल की खरीद में अच्छी दिलचस्पी दिखाई जा रही है। हालांकि बासमती चावल की आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति सामान्य बनी हुई है मगर पिछले दो सप्ताहों के दौरान इसके दाम में करीब 10 प्रतिशत का इजाफा हो गया जिससे इसकी मजबूत मांग का स्पष्ट संकेत मिलता है।

दरअसल पिछले कुछ महीनों से बासमती चावल के दाम में नरमी या स्थिरता का माहौल बना हुआ था लेकिन अब पश्चिम एशिया के देशों ने इसका आयात बढ़ाना आरंभ कर दिया है जिससे कारोबारी गतिविधियां सुधरने लगी हैं। 

उल्लेखनीय है कि बासमती चावल का उत्पादन केवल भारत और पाकिस्तान में होता है और यही से इसका निर्यात भी किया जाता है। फिलहाल दोनों देशों के बीच भयंकर संघर्ष की स्थिति बनी हुई है।

खाड़ी क्षेत्रों के देशों को आशंका है कि अगर युद्ध की विभीषिका बढ़ी तो बासमती चावल का निर्यात शिपमेंट प्रभावित हो सकता है। इसे देखते हुए आयातक जल्दी-जल्दी भारत से बासमती चावल की खरीद का अनुबंध कर रहे हैं। पाकिस्तान में स्टॉक ज्यादा नहीं बचा है जबकि वहां से निर्यात शिपमेंट में खतरा भी ज्यादा है इसलिए आयातकों का ध्यान भारत पर ही केन्द्रित है। 

पिछले दिनों 1509 बासमती चावल का थोक बाजार भाव 5300 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़कर 5900 रुपए प्रति क्विंटल (सेला चावल) तथा स्टीम बासमती चावल का दाम 6200-6300 रुपए  प्रति क्विंटल से बढ़कर 6900 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गया।

इसके फलस्वरूप सेला बासमती चावल का खुदरा बाजार भाव बढ़कर 75 रुपए प्रति किलो एवं स्टीम बासमती चावल का दाम उछलकर 80 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गया। स्टीम चावल का इस्तेमाल बिरयानी बनाने में होता है।

व्यापार विश्लेषकों के अनुसार पिछले एक पखवाड़े के अंदर बासमती चावल के निर्यात ऑफर मूल्य में भी 8-10 प्रतिशत का इजाफा हो गया है।

मध्य पूर्व एशिया के देशों को आगामी समय में बासमती चावल का भाव और भी बढ़ने की आशंका है इसलिए वे भारत से खरीद बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। इसमें सऊदी अरब, ईरान एवं यमन मुख्य रूप से शामिल हैं।

इसके अलावा अमरीका सहित कुछ अन्य देशों के आयातक भी इसकी खरीद में भारी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। अमरीकी आयातकों को बासमती चावल पर आयात शुल्क बढ़ने की आशंका है।

उल्लेखनीय है कि बासमती चावल के वैश्विक निर्यात बाजार में भारत की भागीदारी 70 प्रतिशत से ज्यादा रहती है इसलिए अगर यहां से निर्यात में थोड़ी भी बाधा पड़ी तो कीमतों में भारी तेजी की संभावना बन सकती है।